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कश्मीर में 59 वें दिन भी बंद, मरने वालों की संख्या हुई 75

Published: Sep 06, 2016 04:25:00 pm

कश्मीर घाटी के कुछ इलाकों व पुराने श्रीनगर शहर में मंगलवार को 59 वें दिन भी कर्फ्यू जैसे हालात, अब तक 75 की मौत

kashmir news

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श्रीनगर। कश्मीर घाटी के कुछ इलाकों व पुराने श्रीनगर शहर में मंगलवार को 59 वें दिन भी कर्फ्यू जैसे हालात जारी हैं। अधिकारियों के मुताबिक घाटी में जारी हिंसक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है। कश्मीर के सोपोर कस्बे के वादूरा इलाके में 4 सितंबर को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए 17 वर्षीय युवक मुसैब मजीद की श्रीनगर के एक अस्पताल में मौत हो गई।

मजीद कुपवाड़ा जिले के सोनारवानी जिले का रहने वाला था। मंगलवार को श्रीनगर शहर के 6 पुलिस थाने के इलाकों में कर्फ्यू जैसा प्रतिबंध लगा दिया। इसमें नौहट्टा,खानयार,सफाकदल,एम.आर,गुंज,रैनावरी और मैसुमा शामिल है। पुलिस का कहना है कि मंगलवार को घाटी में कहीं भी कफ्र्यू नहीं लगाया गया है। जिन स्थानों पर प्रतिबंध लगाया गया है, वहां सुरक्षा बलों द्वारा किसी प्रकार की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जा रही थी।

कुपवाड़ा जिले के रहने वाले युवक की मौत के बाद जिले के सभी मोबाइल फोनों का संचालन निलंबित कर दिया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मिलने के प्रस्ताव को अलगाववादियों ने खारिज कर दिया था। इस कारण यहां शांति स्थापित करने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। यहां मंगलवार को 59 वें दिन भी जारी बंद के कारण सभी शैक्षणिक संस्थान,प्रमुख बाजार,सार्वजनिक परिवहन व अन्य व्यवसाय ठप पड़े रहे। हालांकि बैंक,सरकारी कार्यालयों व डाकघरों में काम जारी है लेकिन कर्मचारियों की संख्या काफी कम है।

अलगाववादियों की सुविधाएं रोक सकती है मोदी सरकार
कश्मीर की आजादी के नाम पर लोगों को भड़काने वाले अलगाववादियों की सुविधाएं बंद हो सकती है। कहा जा रहा है कि सरकार अलगाववादियों को दी जा रही सरकारी सुविधाओं पर रोक लगा सकती है। यह मांग पहले से उठ रही थी लेकिन केन्द्र सरकार अब इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। अलगाववादियों को मिलने वाले हवाई टिकट,कश्मीर से बाहर जाने पर होटल और गाडिय़ों जैसी सुविधाएं वापस ली जा सकती है। अलगाववादियों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को भी वापस लिए जाने की मांग उठी है लेकिन इस पर फैसला जम्मू कश्मीर सरकार को लेना है। फिलहाल अलगाववादियों की सुरक्षा में 900 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं।

जम्मू कश्मीर सरकार के सूत्रों के मुताबिक अलगाववादियों पर हो रहे खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र उठाता रहा है। केन्द्र अब इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। जम्मू कश्मीर सरकार कुल खर्च का करीब 10 फीसदी उठाती है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र की खबर के मुताबिक पिछले पांच सालों में जम्मू कश्मीर सरकार ने अलगाववादियों की सुरक्षा पर 506 करोड़ रुपए खर्च किए। सरकार ने 5 सालों में इन लोगों को होटलों में ठहराने पर ही करीब 21 करोड़ रुपए खर्च किए। इन्हीं खर्चों को देखते हुए् अलगाववादियों को दी जा रही सरकारी सुविधाएं बंद किए जाने की मांग हो रही है।
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