नाराज आप विधायक अलका लांबा का कहना है कि उनको केजरीवाल की इस जनसभा की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 फरवरी को चांदनी चौक विधानसभा के जामा मस्जिद क्षेत्र में मुख्यमंत्री जनसभा करने आ रहे हैं, जिसकी पार्टी के स्थानीय विधायक को ही जानकारी नहीं दी गई है। यहां तक कि पार्टी ने पुराने चेहरे को मैदान में 2020 के लिए अभी से उतार दिया है। जबकि मैं एक विधायक के तौर पर आज भी पूरी तरह से जनता के बीच सक्रिय रहते हुए विकास कार्यो को आगे बढ़ा रही हूं। मुझे कमज़ोर करके पार्टी को क्या लाभ होगा?
उनका कहना है कि पार्टी की ओर से मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि मैं कांग्रेस में जा सकती हूं। जबकि कांग्रेस से गठबंधन में कोई और ही किसी भी स्तर पर समझौता करने को तैयार बैठा है। लेकिन पार्टी नेतृत्व को इस बारे में सही जानकारी नहीं है। मुझे जनता ने चुना है, जनता के लिए यूं ही समर्पित रहते हुए अपने काम जारी रखूंगी। बाकी चुनाव में जनता तय करेगी वो किसके साथ है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी प्रमुख और विधायक अलका लांबा के बीच मतभेद बीते दो महीनों से है। दिसंबर के आखिर में दिल्ली विधानसभा में भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने का एक प्रस्ताव पास किया गया था। सीएम समर्थक नेताओं का आरोप है कि विधायक अलका लांबा ने दिल्ली कांग्रेसी नेता के कहने पर पार्टी नेतृत्व से सहमति लिए बगैर विधायक सोमनाथ भारती के जरिए 1984 हिंसा संबंधित मूल प्रस्ताव कुछ बातें शामिल करवाने काम किया, जिससे पार्टी की फजीहत हुई। इस बात से नाराज सीएम अरविंद केजरीवाल ने अलका लांबा को इस्तीफ़ा देने तक को कह दिया था। दूसरे नेताओं के बीच-बचाव के बाद मामला कुछ शांत हुआ था। लेकिन इस मामले के बाद अलका लांबा ने सवाल उठाए कि पार्टी ने उनको व्हाट्सएप ग्रुप से निकाल दिया है। अरविंद केजरीवाल ने टि्वटर पर उनको फॉलो करना बंद कर दिया है। ऐसे में पार्टी उनको लेकर अपना रुख साफ़ करे, लेकिन पार्टी ने अल्का लांबा को लेकर फिलहाल औपचारिक रूप से चुप्पी साधी हुई है। अब यही चुप्पी अलका के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है।
– सरकार की फजीहत के बाद से पार्टी नेताओं ने उन्हें तवज्जो देना बंद कर दिया है
– अभी तक लांबा मुख्यमंत्री की करीबी विधायकों में शुमार रही हैं
– पार्टी ने चांदनी चौक में जनसभा की सूचना नहीं दी
– इस क्षेत्र से अलका लांबा पार्टी विधायक हैं
– पार्टी ने 2020 विधानसभा चुनाव के लिए एक वफादार नेता को मैदान में उतार दिया है
– अलका लांबा की कांग्रेस से बातचीत शुरुआती चरण में है
– राजनीतिक करिअर कमजोर पड़ने की चिंता