MP Mohan Delkar Passed Away: जानिए कौन हैं सात बार दादर नागर हवेली के सांसद रह चुके मोहन डेलकर?
HIGHLIGHTS
- MP Mohan Delkar Passed Away: मोहन डेलकर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। अभी तक उनके आत्महत्या करने के पीछे की वजह सामने नहीं आई है।
- मोहन डेलकर का जन्म 19 दिसंबर 1962 को सिलवासा में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहन संजीभाई डेलकर था।

मुंबई। सोमवार को उस वक्त राजनीतिक गलियों में सनसनी फैल गई जब दादरा और नगर हवेली ( Dadra Nagar Haveli ) के सांसद मोहन डेलकर दक्षिण मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए। बताया जा रहा है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली।
मोहन डेलकर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। अभी तक उनके आत्महत्या करने के पीछे की वजह सामने नहीं आई है। मौक पर से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है, ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
दमन और दीव के सांसद मोहन डेलकर होटल में मृत मिले, पुलिस ने आत्महत्या की आशंका जताई
सात बार लोकसभा के सदस्य रहे मोहन डेलकर आदिवासियों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई कार्य किए हैं, जिनके लिए हमेशा उन्हें याद किया जाएगा। आइए जानते हैं कि कौन हैं मोहन डेलकर..
2019 में सातवीं बार बने सांसद
बता दें कि मोहन डेलकर का जन्म 19 दिसंबर 1962 को सिलवासा में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहन संजीभाई डेलकर था। दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली की लोकसभा सीट से मोहन डेलकर सात बार संसद संसद सदस्य के रूप में काम करने वाले एक स्वतंत्र राजनेता थे।
2019 में मोहन डेलकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सातवीं बार चुनाव लड़ा था और भाजपा के नथुभाई गोमनभाई पटेल को नौ हजार वोटों से शिकस्त देकर लोकसभा पहुंचे थे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले - हिंदू समाज सो गया है, जब जागेगा तो उसके सामने कोई टिक नहीं पाएगा
उन्होंने सिलवासा में एक ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद कई मोर्चों पर कामगारों के लिए संघर्ष किया। अलग-अलग कारखानों में काम करने वाले आदिवासियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और संघर्ष कर उनका हक दिलाया। डेलकर ने 1985 में आदिवासियों के लिए आदिवासी विकास संगठन शुरू किया।
भाजपा-कांग्रेस की टिकट पर भी लड़े हैं चुनाव
आपको बता दें कि मोहन डेलकर 9वीं लोकसभा के लिए 1989 में दादरा और नगर हवेली निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार (निर्दलीय) के रूप में चुनाव लड़े और पहली बार संसद पहुंचे।
हालांकि इसके बाद वे दो बार (1991 और 1996) कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे। इतना ही नहीं, भाजपा की टिकट पर भी चुनाव लड़कर वे संसद पहुंचे। डेलकर ने 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी।
Photos: प्रेग्नेंसी कन्फर्म करने के बाद बहन मुक्ति के साथ नजर आईं नीति मोहन
इसके बाद डेलकर 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल कर संसद पहुंचे। 1999 में वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे, जबकि 2004 में भारतीय नवशक्ति पार्टी (बीएनपी) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे।
पिछले साल JDU में हुए थे शामिल
निर्दलीय से लेकर कई पार्टियों के साथ अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाते हुए संसद का रास्ता तय करने वाले मोहन डेलकर ने 2020 को जनता दल युनाइडे (JDU) का दामन थाम लिया था।
उससे पहले 4 फरवरी 2009 को वे एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन 2009 के चुनाव में वे जीत हासिल नहीं कर सके थे। उसके बाद से मोहन डेलकर ने 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी से खुद को अलग कर लिया और एक निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Political News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi