अगले महीने हो सकता है निर्णय जानकारों के अनुसार- लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में सीटों का बंटावारा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा होगा। खास तौर पर पुराने मैसूर की सीटों पर, जहां वोक्कालिंग समुदाय में जेडीएस की पकड़ मजबूत है। फिलहाल इन सीटों पर कांग्रेस के सांसद हैं। साथ में लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत होने और इस महीने के अंत तक अंतिम निर्णय होने की संभावना है।
‘कम हुआ पीएम मोदी का करिश्मा’ गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर होने वाली बातचीत से पहले कांग्रेस में अंदरुनी दबाव है कि वह जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) के समक्ष ज्यादा ना झुके वहीं, कुमारस्वामी का कहना है कि दोनों पक्षों में किसी को भी संकीर्णता नहीं दिखानी चाहिए। कुमारसवामी ने दावा किया कि सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी का ‘करिश्मा’ कम हो रहा है। पीए पद के लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम सुझाया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा-विरोधी दलों में गांधी के नाम को लेकर अभी तक सहमति नहीं है।
मतभेद को नकारा जेडीएस नेता ने अपनी सरकार के भीतर मतभेदों आरोपों को भी नकारा। उन्होंने कहा कि वह इस ‘कड़वाहट’ से आसानी से पार पा लेंगे। जब उनसे पूछा गया कि सीट बंटवारे पर बातचीत असफल रहने पर क्या जेडीएस अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ेगा, उन्होंने कहा कि- ‘हमारी समझ से हम दोनों (कांग्रेस और जेडीएस) को चुनाव साथ लड़ना चाहिए। क्योंकि राज्य में सरकार बनाने का कारण भाजपा को सत्ता से दूर रखना और देश में माहौल को बेहतर बनाना था…।’
यह है वर्तमान स्थिति कुमारस्वामी ने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य में गठबंधन सरकार के गठन के बाद से देश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आए हैं। कुछ उपचुनावों और तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है। कुमारस्वामी ने सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के बारे में कहा कि- ‘उन्हें हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए। उन्हें हमारे साथ तीसरे दर्जें के नागरिक की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए।’ बता दें, जेडीएस ने प्रदेश की 24 संसदीय सीटों में से 12 की मांग रखी है। इस पर कांग्रेस को आपत्ति है। 2014 के आम चुनावों में राज्य में भाजपा को 17, कांग्रेस को नौ और जेडीएस को दो सीटें मिली थीं।