कहा, राहुल में बड़ी समस्याओं को हल करने की काबिलियत
कुलकर्णी ने कहा कि इस वक्त भारत को एक ऐसे नेता की जरूरत है, जो कश्मीर मुद्दे जैसी ‘बड़ी समस्याओं’ का समाधान निकाल सके और उन्हें राहुल गांधी में यह काबिलियत दिखती है। इसलिए वह कांग्रेस प्रमुख का बतौर प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।
पीएम मोदी को बताया विफल
इतना ही नहीं, कुलकर्णी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी समस्याओं को हल करने में विफल रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान और चीन के साथ विवादों को का हल नहीं निकाल पाने जैसी समस्याओं का उदाहरण दिया। कुलकर्णी ने राहुल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह ‘अच्छे दिल वाले नेता हैं.’
मोदी को बता चुके हैं तानाशाह
बता दें कि कभी भाजपा के थिंक टैंक रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी पहले भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान देते रहे हैं। जब लोकसभा चुनाव 2014 के पहले जिस समय नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए घोषित करने की बात चल रही थी, उस वक्त भी उन्होंने इसका विरोध किया था। नरेंद्र मोदी का बिना नाम लिए ट्विटर पर उन्होंने कहा था कि सामाजिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले नेता ने अपनी खुद की पार्टी का भी ध्रुवीकरण कर दिया है। क्या वह केंद्र में सुचारू, स्थिर और प्रभावी सरकार दे सकेंगे। इस पर गंभीरता से सोचिए। जब लालकृण आडवाणी, राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी में से किसे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए तब भी इस बहस में हिस्सा लेते हुए उन्होंने संकेत दिया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री ‘तानाशाह’ बताया है।
राजनाथ सिंह की भी की थी आलोचना
कुलकर्णी ने एक लेख लिखकर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को ‘चालाक लोमड़ी’ बताया था। उन्होंने लिखा था कि राजनाथ में ‘ज्योतिष से पैदा हुआ यह भ्रम’ है कि वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
उतरे थे आडवाणी की पैरोकारी में
बतौर प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की पैरोकारी करते हुए कुलकर्णी ने कहा था कि उनका पक्का विश्वास है कि 85 साल का होने के बावजूद आडवाणी में अब भी पार्टी और देश के लिए योगदान करने की काफी क्षमता है। इतना ही नहीं, उन्होंने आडवाणी के मोदी विरोध को सही बताते हुए दावा किया कि भाजपा से इस पुरोधा ने अपने इस्तीफे पत्र में पार्टी की जो आलोचनाएं की थीं उन पर वह अभी भी कायम हैं। कुलकर्णी ने कहा कि एक ‘आत्म केन्द्रित’ नेता जिसके मन में पार्टी संगठन और अपने राज्य में लंबे समय से रहे पार्टी सहयोगियों के प्रति किसी तरह की कोई परवाह नहीं है, अचानक भाजपा की राष्ट्रीय योजना में इतना शक्तिशाली बन गया। जबकि एक नि:स्वार्थ नेता जिसने कई दशकों की कड़ी मेहनत से एक-एक ईंट रखकर पार्टी का निर्माण किया उसे बेकार अवशेष मान कर एक तरफ किया जा रहा है।