आपको बता दें कि बीड लोकसभा सीट पर भाजपा के बड़े नेता रहे गोपीनाथ मुंडे कई बार जीते थे। लेकिन 2014 में केंद्र में मोदी सरकार में मंत्री बनने के कुछ दिनों बाद ही मुंडे का दिल्ली में हुई एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। इसके बाद इस सीट पर भाजपा ने उनकी बेटी प्रीतम मुंडे को उपचुनाव में उतारा था। प्रीतम ने यहां कांग्रेस उम्मीदवार अशोकराव पाटिल को हराकर 6.96 लाख मतों से जीत हासिल की। बता दें कि प्रीतम मुंडे की यह जीत लोकसभा के इतिहास में सबसे अधिक अंतर से मिलने वाली जीत थी।
इस बार भी बीजेपी ने विश्वास जताते हुए उन्हें बीड लोकसभा सीट से टिकट दिया है। उनकी टक्कर एनसपी उम्मीदवार बजरंग मनोहर सोनवणे से है। चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ। इस लिहाज से माना जा रहा है कि इस सीट पर कांटे का मुकाबला है। यहां बजरंग मनोहर सोनवणे को जिताने के लिए विपक्षी दल एनसीपी से ताल्लुकात रखने वाले गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे जी जान से लगे हुए हैं। ऐसे में इस सीट को ‘मुंडे बनाम मुंडे’ की लड़ाई माना जा रहा है। बीड जिले की गार्जियन मंत्री पंकजा मुंडे हैं। इस वजह से यह सीट उनके लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। मुंडे की विरासत को बचाना भी उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अब 23 मई को आने वाले नतीजों से ही साफ हो पाएगा की मुंडे वर्सेज मुंडे की इस लड़ाई में किसकी जीत होती है।