scriptलोकसभा के चरण 1 में भाजपा और कांग्रेस के लिए क्या है दांव पर | Lok sabha election 2019 what is at stake for bjp and congress in phas | Patrika News

लोकसभा के चरण 1 में भाजपा और कांग्रेस के लिए क्या है दांव पर

Published: Apr 11, 2019 02:57:06 pm

Submitted by:

Vineeta Vashisth

पहले चरण का मतदान जोरों पर
भाजपा हिंदी भाषी राज्यों में साख बचाने उतरेगी
कांग्रेस कई राज्यों में फायदा लेने की जुगत में

voting

लोकसभा के चरण 1 में भाजपा और कांग्रेस के लिए क्या है दांव पर

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में पहले चरण के दौरान 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा हो रहा है। सभी दल पूरे जी जान से जहां ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने की जुगत में हैं, वहीं कांग्रेस ( Congress )और भाजपा ( BJP ) की साख पहले चरण की कई सीटों पर दांव पर लगी हुई है।

पिछले आम चुनावों में आंध्र और तेलंगाना में लगी उम्मीदों को छोड़कर पहले चरण में 49 सीटों पर जीत के साथ भाजपा का पलड़ा भारी रहा था। इन 49 सीटों में भाजपा ने 29 सीटों पर विजयी परचम लहराया था। बात करें बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की, तो भाजपा ने पहले चरण की 17 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की थी।

हालांकि इस बार क्षेत्रीय दलों के गठबंधनों के दौर में भाजपा को यदि 2014 का करिश्मा दोहराना है तो उसे इस बार ज्यादा जतन करने होंगे।

पहले चरण के दौर में भाजपा 91 सीटों में से 32 सीटों को बचाने के लिए उतर रही है। पश्चिम बंगाल में भाजपा लाभ ले सकती है। जहां तक पश्चिम त्रिपुरा और बाहरी मणिपुर की बात की जाए तो भाजपा इन दो उत्तरी सीटों पर भी लाभ की स्थिति में दिख रही है।

आंध्र प्रदेश की बात करें तो भाजपा यहां प्रयास करेगी कि कांग्रेस की सीटें कम करने के लिए टीआरएस पहले से बेहतर प्रदर्शन करे। ठीक उसी तरह तेलंगाना में टीआरएस ( TRS) और भाजपा की जुगलबंदी वाईएसआर कांग्रेस को बढ़ते कदमों को रोक सकती है।

अब आते हैं बिहार के समीकरणों पर, यहां भाजपा का प्रयास रहेगा कि गठबंधन के सहारे अपनी तीन पुरानीं सीटों की रक्षा की जाए। पिछली बार भाजपा यहां तीन सीटें जीती थी और इस बार जदयू ( JDU )के साथ गठबंधन में भाजपा के हिस्से में पहले चरण में केवल एक सीट आई है।

कुल मिलाकर भाजपा की यही कोशिश रहेगी कि पहले चरण में गठबंधन दलों के सहारे वो अपनी पुरानी सीटों को बचाने की कोशिश करे क्योंकि बार पहले चरण में उसके हिस्से में कम ही सीटें आई हैं।

कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस ने 2014 में सात सीटों पर विजय प्राप्त की थी और उसका प्रयास इन सात सीटों को फिर से अपने कब्जे में लेने का रहेगा। इन सात सीटों में दो सीटें तेलंगाना की, एक एक सीट अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर और मिजोरम की थी।

कुछ अतिरिक्त पाने की कोशिश में कांग्रेस की नजर कई राज्यों पर है। कांग्रेस आंध्र प्रदेश के साथ साथ अंडमान और निकोबार, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, मेघालय, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पहले चरण में बढ़त प्राप्त कर सकती है।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बदलते समीकरण

आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद यह पहली बार होगा जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोकसभा चुनाव होंगे। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पास कुल मिलाकर 42 लोकसभा सीटें हैं और यहां पर तय हो सकता है कि पहले चरण में किस दल का पलड़ा भारी होगा। इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों की साख इन दो राज्यों की सीटों पर लगी है।

जहां तक 2014 के लोकसभा चुनाव का सवाल है, तब गैर विभाजित आंध्र प्रदेश में टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस उस वक्त सबसे बड़े खिलाड़ी साबित हुए थे। इन तीन दलों ने मिलकर 16, 11 और 9 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। भाजपा उस वक्त चार सीटों पर जीत कर चौथे स्थान पर रही थी।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पहले चरण में इस हिंदी भाषी राज्य की सभी आठ सीटों पर कब्जा किया था। यहां तक कि सात सीतों पर जीत का अंतर बीस प्रतिशत से भी ज्यादा था। केवल एक सीट सहारनपुर, जहां कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद खड़े थे, वहां जीत का फीसद 4.45 रहा था।

जहां तक इस बार हुए महागठबंधन की बात की जाए तो अगर यह सफल रहता है तो भाजपा को उत्तर प्रदेश के साथ साथ साथ लगे दूसरे राज्यों में भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

उत्तराखंड

2014 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने उत्तराखंड की सभी पांचों सीटों पर विजयी परचम लहराया था।

बिहार

बिहार में भाजपा ने चार में से तीन सीटों पर विजय हासिल की थी। जमुई में एलजेपी के राम विलास पासवान जीते थे क्योंकि यहां से भाजपा ने प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था। हालांकि इस बार पासवान को कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के बुध चौधरी उनके सामने बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इस बार भाजपा केवल औरंगाबाद से लड़ रही है, ये वही सीट है जहां भाजपा के सुशील कुमार सिंह ने कांग्रेस के निखिल कुमार को हराया था।

महाराष्ट्र

पिछली बार महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन का जादू चला थी और इन्होंने सभी सातों सीटें जीत ली थी। इनमें भाजपा ने पांच और शिवसेना ने दो सीटों पर कब्जा किया था। इनमें चार सीटों पर विजय का अंतर 20 फीसदी से भी ज्यादा था।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा

2014 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने दोनों सीटों पर विजय प्राप्त की थी। यहां टीएमसी ने दोनों सीटें 27 और 29 फीसदी अंतर के साथ जीती थी। यहां भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी।

ओडिशा की बात करें तो यहां पिछली बार की तरह बीजू जनता दल ने चारों सीटों पर स्वीप किया था। हालांकि बीजद को इनमें से तीन सीटों पर प्रतिद्वंदियों से कड़ी टक्कर मिली थी और यहां जीत का अंतर महज पांच फीसदी रहा था।

असम

सबसे आखिर में बात करते हैं असम राज्य की। यहां की 14 लोकसभा सीटों में से पांच सीटों पर मतदान पहले चरण में हो रहा है। इन पांचों सीटों में से चार सीटों पर भाजपा पिछले लोकसभा चुनावों में विजयी रही थी। इन सभी सीटों पर जीत का अंतर 15 फीसदी रहा था। पांचवी सीट कांग्रेस से खाते में गई थी जहां कांग्रेस के गौरव गोगोई ने भाजपा के मृणाल कुमार सैकिया को 8 फीसदी के अंतर से हराया था।

ट्रेंडिंग वीडियो