बिहार कांग्रेस के प्रभरी शक्ति सिंह गोहित ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि आपके लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में जिस व्यक्ति का बिल्कुल भी स्वागत नहीं है वह नीतीश कुमार हैं। उनके लिए अब कोई जगह नहीं है। इससे पहले जेडीयू ने कांग्रेस को सुझाव दिया था कि उन्हें लालू प्रसाद यादव की आरजेडी से गठबंधन पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस पर कांग्रेस ने जेडीयू प्रमुख नीतीश को दो टूक जवाब दिया है कि महागठबंधन में उनके लिए कोई जगह नहीं है। गोहिल ने त्यागी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी नीतीश कुमार से महागठबंधन में शामिल होने के लिए नहीं कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी को लेकर भी कांग्रेस को दोबारा विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने मीटिंग के बाद कहा कि बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल समेत कई कांग्रेस नेताओं ने नीतीश से महागठबंधन में शामिल होने की अपील की है। लेकिन जेडीयू इस प्रस्ताव पर तभी विचार करेगी जब राष्ट्रीय जनता दल जैसी भ्रष्ट पार्टी पर कांग्रेस अपना स्टैंड स्पष्ट कर दे। जब तक कांग्रेस इस मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं करेगी तब तक हमारी पार्टी उनके साथ कैसे जा सकती है। ये बात उन्होंने उस समय कही थी जब कांग्रेस ने नीतीश से महागठबंधन में शामिल होने की अपील की थी।
जब से सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा से संबंध तोड़ महागठबंधन में शामिल होने के संकेत दिए तभी से आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादस का रुख साफ है। उन्होंने साफ साफ कह रखा है कि महागठबंधन में वो चचा को स्वीकार नहीं करेंगे। तेज प्रताप ने तो नो एंट्री के बोर्ड तक लगा दी है।
दरअसल, बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर चर्चा तभी से जारी है जब से जेडीयू ने बिहार में अपने सहयोगी भाजपा के सामने बड़े भाई की भूमिका की दावेदारी पेश कर दी। भाजपा ने इसका विरोध नहीं किया है लेकिन पार्टी नीतीश को लोकसभा चुनाव में बड़ा भाई मानने के लिए अंदर से तैयार नहीं है। जेडीयू ने काफी सौदेबाजी के बाद लोकसभा एक साथ मिलकर लड़ने के लिए 17-17 सीटों का प्रस्ताव रख दिया है। 12 जुलाई को सीटों के लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पटना पहुंचकर इस बारे में बात करेंगे। अगर दोनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी तो थर्ड फ्रंट का विकल्प नीतीश के पास तभी बचता है। लेकिन वहां पर सीएम ममता बनर्जी की सहमति के बगैर उनके लिए दरवाजा खुलना मुमकिन जैसा नहीं है।