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महाराष्ट्र सरकार ने आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने की अधिसूचना जारी की

locationनई दिल्लीPublished: Feb 13, 2019 07:21:49 am

Submitted by:

Anil Kumar

महाराष्ट्र सरकार ने आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्ण समुदाय के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।

महाराष्ट्र सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए जारी की अधिसूचना

महाराष्ट्र सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए जारी की अधिसूचना

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्ण समुदाय के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी। बीते सप्ताह महाराष्ट्र की फडनवीस सरकार की कैबिनेट ने आरक्षण लागू करने के फैसले को मंजूरी दी थी। जिसको लेकर अब मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। बता दें कि सरकार ने अपने अधिसूचना में कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से नौकरियों और शिक्षा में सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर गरीब परिवारों (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत करती है। बता दें कि महाराष्ट्र से पहले गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाले इस व्यवस्था को लागू गुजरात, झारखंड, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार मंजूरी दे चुकी हैं।

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संविधान संशोधन करते हुए केंद्र सरकार ने लागू की है यह व्यवस्था

आपको बता दें कि मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन में संसद पर सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए एक बिल पेश किया था। इसके बाद दोनों सदनों में इसे पास भी करा लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण से संबंधित संविधान अधिनियम 2019 को मंजूरी भी दे दी है। बता दें कि सरकार ने इसके लिए 124वां संविधान संशोधन करते हुए यह व्यवस्था लागू की है। यह व्यवस्था लागू होने के बाद से अब देश में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन कर सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण का प्रावधान करता है। नए नियम के मुताबिक 8 लाख रुपए तक की वार्षिक आमदनी वालों को आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा। बता दें कि जहां एक ओर एक के बाद एक भाजपा शासित राज्य केंद्र सरकार के फैसले को अमल में ला रहे हैं और इस नियम को लागू कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर गैर भाजपा शासित राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए संसद में एक-दो राजनीतिक दलों को छोड़कर किसी ने भी सरकार के इस फैसला का खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई।

 

 

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