मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इन लोगों से पार्टी के भीतर कर्नाटक जैसे किसी प्रकार के विद्रोह को खत्म करने के लिए बात करेंगे। अन्य विधायक जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर नहीं बोला उन्होंने पार्टी के समक्ष अपनी शिकायतों को दर्ज कराया है। कुछ विधायकों ने कहा है कि वे स्थिति से अवगत कराने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलेंगे। हालांकि, नई दिल्ली के हस्तक्षेप से परिणाम यह हुआ है कि प्रणीति शिंदे ने पार्टी के साथ किसी तरह के मतभेद से इनकार किया है और वहीं संग्राम थोपटे ने कहा है कि वह पार्टी के साथ हैं।
इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस के मंत्रियों ने मल्लिकार्जुन खड़गे, के.सी. वेणुगोपाल और पार्टी सचिव आशीष दुआ के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की और स्पष्ट रूप से असंतोष के बारे में बात की।बालासाहेब थोरात और अशोक चव्हाण सहित वरिष्ठ मंत्रियों ने भी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की। राज्य में कांग्रेस कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ आंतरिक मतभेदों का सामना कर रही है। उनका कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी अनदेखी की गई है। मुंबई से दो बार के विधायक रहे अमीन पटेल को कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन असलम शेख और वर्षा गायकवाड़ को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। मुंबई में, पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान, जो चुनाव हार गए थे, को भी परेशान माना जा रहा है। अब उन्होंने मांग की है कि महाराष्ट्र सरकार केरल का अनुसरण करे और एक सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित करे।
वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को अपनी शिकायतों से अवगत कराया। एक सूत्र ने बताया कि विधानसभा चुनाव में चौथे स्थान पर रही कांग्रेस अब पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को समायोजित करने की योजना बना रही है और कई को संगठनात्मक कार्य सौंपा जा सकता है। 12 कांग्रेस नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली है और कुछ प्रमुख विभागों पर नजर है। स्पीकर के पद के अलावा, पार्टी को एक नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना है, क्योंकि बालासाहेब थोरात को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, जो स्पीकर के पद के लिए सबसे आगे थे, को अब अगले राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में चुना जा रहा है। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अब उद्धव ठाकरे कैबिनेट का हिस्सा हैं।