उन्होंने कहा कि यहां (पश्चिम बंगाल) की जनता ने धनबल को नकार दिया है। ममता ने कहा कि भाजपा पूरी तरह से तानाशाही पर उतर आई। त्रिपुरा में हमारे कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम करने से रोका गया.. क्या यही लोकतंत्र है? मोदी सरकार देश की संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट कर रही है। ऐसे में अब हम सब को लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुटता से लड़ना होगा। मोदी सरका को प्लास्टर की जरूरत है.. और अब हमें इसकी शुरुआत करनी है।
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ममता बनर्जी ने कहा कि जब तक मोदी सरकार और भाजपा को सत्ता से बाहर नहीं कर देते हैं तब तक खेला होगा। बता दें कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने खेला होबे का नारा दिया था। इसके बाद टीएमसी प्रचंड जीत (213 सीट) हासिल करते हुए तीसरी बार सत्ता में काबिज हुई। वहीं सरकार बनाने का दावा कर रही भाजपा को मायूसी हाथ लगी और 77 सीटों से ही संतोष करना पड़ा।
16 अगस्त को मनाएंगे खेला दिवस : ममता
बता दें कि पेगासस के जरिए जासूसी किए जाने के मामले पर मोदी सरकार को घेरते हुए ममता ने कहा कि इसके लिए पैसे खर्च किए जा रहे हैं और मंत्रियों व जजों तक के फोन नंबर की निगरानी की जा रही है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ममता ने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट को पेगासस जासूसी मामले में स्वतः संंज्ञान लेना चाहिए।
वहीं कोरोना को लेकर भी ममता ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। ममता ने कहा कि सरकार कहती है कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा, जबकि सच्चाई पूरे देश को पता है। उन्होंने कहा कि अब कोविड की तीसरी लहर को लेकर लगातार चेतावनी दी जा रही है, लेकिन सरकार ने इसके लिए अभी तक कोई तैयारी नहीं की है।
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ममता ने जोरदार तरीके से हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल में मतदान के बाद कोई हिंसा नहीं हुई। भाजपा के कुछ नेता मानवाधिकार सदस्य हैं और उन्होंने ही गलत रिपोर्ट डाली है। हम सभी जानते हैं कि मतदान से पहले वे हमपर किस तरह से दबाव बना रहे थे। लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे और जब तक भाजपा व मोदी सरकार को सत्ता से बाहर नहीं कर देते हैं तब तक खेला होगा। हम 16 अगस्त को खेला दिवास मनाएंगे।
गुजरात में सक्रिय हुईं ममता
ममता बनर्जी ने कहा कि देश के हालात मौजूदा समय में बहुत ही खराब हैं। लेकिन मोदी जी आप बुरा न मानें.. मैं आपकी व्यक्तिगत आलोचना नहीं कर रही हूं पर आप करते हैं..आपको सिर्फ अपनी पार्टी की चिंता है और हमें देश के विकास की चिंता है.. बंगाल एक मॉडल स्टेट है.. गुजरात नहीं।
बता दें कि शहीद दिवस के लिए टीएमसी ने खास तौर से तैयारी की थी। यह पहली बार था जब शहीद दिवस के लिए बंगाल से बाहर ममता बनर्जी के भाषण को प्रसारित किया गया और टीएमसी ने इसके लिए पूरी व्यवस्था की थी। सबसे बड़ी बात कि पहली बार गुजरात में ममता बनर्जी के नाम को पोस्टर लगाया गया था।
ममता के भाषण को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात में पार्टी मुख्यालय के बाहर एलईडी टीवी पर प्रसारित किया गया। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक ये स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं कि ममता अब बंगाल से बाहर राष्ट्रीय राजनीति में कदम रख रही हैं और टीएमसी का दायरा बंगाल से बाहर बढ़ाने के लिए कदम बढ़ा दी हैं।
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सबसे अहम बात कि बंगाल में खेला करने के बाद अब वह 2022 में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी खेला करने के मूड में दिखाई दे रही हैं। हालांकि, ममता के लिए यह आसान नहीं होगा, क्योंकि गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है।
टीएमसी 21 जुलाई को क्यों मनाती है शहीद दिवस?
आपको बता दें कि ममता बनर्जी और टीएमसी हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस के तौर पर मनाती है। दरअसल, 1993 में एक घटना घटी थी, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। जिस वक्त ये घटना घटी थी तब ममता बनर्जी युवा कांग्रेस की पश्चिम बंगाल अध्यक्ष थीं।
ममता ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सचित्र वोटर कार्ड की मांग करते हुए तत्कालीन वाममोर्चा की सरकार के खिलाफ एक अभियान की शुरुआत की। इस आंदोलन का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रहीं थी। आरोप है कि पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दी, जिसमें 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। इसके बाद से राज्य की राजनीति में बवाल छिड़ गया। इस घटना के बाद ममता बनर्जी कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) का गठन किया और तब से लेकर अब तक हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस के तौर पर मनाती हैं।