scriptजीतन राम मांझी ने खड़ी की सरकार के सामने मुश्किल, आबादी के अनुपात में मांगा आरक्षण | manjhi create troubl for modi raise-reservation-limit-to-90-95-percent | Patrika News

जीतन राम मांझी ने खड़ी की सरकार के सामने मुश्किल, आबादी के अनुपात में मांगा आरक्षण

locationनई दिल्लीPublished: Jan 13, 2019 01:31:18 pm

Submitted by:

Dhirendra

मोदी सरकार से पूछा है कि जातिवार जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने में समस्या क्या है। उसे सार्वजनिक किया जाए।

manjhi

जीतन राम मांझी ने खड़ी की सरकार के सामने मुश्किल, आबादी के अनुपात में मांगा आरक्षण

नई दिल्‍ली। सवर्ण आरक्षण बिल अमल में आने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने जातिगत आरक्षण की वकालत की है। इस बात की मांग कर उन्‍होंने मोदी सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है और सवर्ण आरक्षण के सियासी प्रभाव को कुंद करने की कोशिश की है। उन्‍होंने जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने और सभी श्रेणियों का कोटा आबादी में उनके अनुपात के अनुरूप बढ़ाते हुए आरक्षण की सीमा 90 से 95 प्रतिशत करने की है।
समस्‍या क्‍या है
मांझी ने कहा कि संसद में पारित 124 वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस वजह से आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा अब बढ कर 60 प्रतिशत हो गई है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि मांझी ने कहा कि मैं सवर्णों को कोटा देने के फैसले के खिलाफ नहीं हूं। मेरा कहना है कि समुदायों ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी को आरक्षण में उनका हिस्सा उनके अधिकार के तौर पर दिया जाए। ताकि हर समुदाय को उसकी आबादी के अनुरूप आरक्षण का उचित लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि जातिवार जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने में क्या समस्या है। उसे सार्वजनिक किया जाए।
भाजपा को मिलेगा लाभ
मांझी ने कहा कि आरक्षण को 50 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ाए जाने की सीमा के बहाने उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है…आबादी में 54 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि आबादी में अनुसूचित जाति (एससी) की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रहने के बावजूद उसे 15 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किए जाने के बारे में टिप्पणी करने को कहे जाने पर उन्होंने कहा कि यदि सपा- बसपा वाले उप्र में कांग्रेस की अनदेखी करते हैं तो उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ेगा क्योंकि भाजपा इसका फायदा उठा सकती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो