बॉलीवुड के सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना ने फिल्मी जगत में अपनी ऐसी पहचान बनाई जिसे अब तक कोई छू भी नहीं सका। फिल्मी करियर के बीच राजेश खन्ना ने राजनीति में आने का फैसला लिया और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्हें सफलता भी मिली और 1992 में उन्होंने एक और फिल्मी सितारे शत्रुघ्न सिन्हा को हराया। हालांकि 1996 में उन्होंने बतौर सांसद रहते हुए सक्रिय राजनीति को विराम दिया। हालांकि वे कांग्रेस से जुड़े रहे।
बॉलीवुड में हीमैन के नाम से मशहूर धर्मेंद्र ने भी उम्र के दूसरे पड़ाव में राजनीति में एंट्री ली। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर बिकानेर से चुनाव लड़ा और जीते। हालांकि नीजि जीवन में उठ रहे सवालों के आजिज आने के बाद धर्मेंद्र ने भी पॉलिटिक्स से तौबा कर ली और आगे चुनाव नहीं लड़ा।
महानायक के रूप में पहचान बना चुके अमिताभ बच्चन ने भी 80 के दशक में राजनीति को चुना। 1984 में अमिताभ बच्चन ने फिल्मों से ब्रेक लिया और इलाहाबाद से लोक सभा चुनाव लड़ा। वे जीते जरूर लेकिन बोफोर्स घोटालों में जब उनका नाम उछाला तो उन्होंने राजनीति से अपने कदम पीछे हटाना ही बेहतर समझा। इसके बाद अमिताभ ने भी राजनीति से यू-टर्न ले लिया।
संजय दत्त ने भी पिता और बहन के रास्ते पर चलते हुए फिल्मों के साथ राजनीति में एंट्री ली। समाजवादी पार्टी से वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के नामांकन किया तो सही लेकिन उन पर चल रहे केसों की वजह से कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद वे पार्टी के जनरल सेक्रेटरी बने, लेकिन 2010 में ये पद भी छोड़कर राजनीति को बाय-बाय कर दिया।
बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार गोविंदा ने भी राजनीति में अपना करियर बनाने की कोशिश की। कांग्रेस से जुड़कर गोविंदा ने 2004 से 2009 तक लोकसभा सदस्य के तौर पर काम भी किया। हालांकि 2008 में उन्हें एहसास हो गया था कि राजनीति उनके बस की बात नहीं। लिहाजा अपने कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्होंने भी अगली चुनाव ना लड़कर पॉलिटिक्स से यू-टर्न ले लिया।