सरकार को घेरने के लिए एकजुट विपक्ष
बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता मोहम्मद सलीम, समाजवादी पाटी के नेता राम गोपाल यादव, बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्र, तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर रॉय, राष्ट्रीय जनता दल की नेता मीसा भारती, द्रमुक नेता टी.के.एस एलंगोवन, जनता दल (सेक्युलर) के नेता डी. कुपेंद्र रेड्डी, आईयूएमएल के नेता पी. के. कुन्हलिकुट्टी, भाकपा नेता डी. राजा और केरल कांग्रेस (मणि) के जोस के. मणि हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और आनंद शर्मा भी बैठक में मौजूद रहे।
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हम सदन चलाना चाहते हैं: आजाद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद कहा कि यह एक पारंपरिक बैठक थी। विपक्ष के 13 दलों ने एकजुट होकर कहा कि हम चाहते हैं कि सदन चले। पिछली बार हम विपक्ष चाहता था कि संसद के दोनों सदन सुचारू रूप से चलें लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती थी, इसलिए उन्होंने काम करने के डर से हमें हंगामे के लिए दोषी ठहरा दिया।
राज्यसभा उपाध्यक्ष चुनाव पर भी विवाद के असार
विपक्षी दलों ने संकेत दिया है कि वे राज्यसभा के नए उपाध्यक्ष पद के चुनाव में एक साथ होंगे। लेकिन इस बात के भी संकेत हैं कि इस सत्र में उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सकता है। पी. जे. कुरियन राज्यसभा के उपाध्यक्ष पद से इसी महीने सेवानिवृत्त हुए हैं।
इन विधयकों पर सरकार की नजर
18 कार्य दिवसों के सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित समेत विधेयकों को लाने पर जोर दे सकती है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के मुताबिक मानसून सत्र के दौरान सरकार के कार्य में संविधान (123वां संशोधन) विधेयक 2017, मुस्लिम महिला (शादी पर सुरक्षा का अधिकार) विधेयक 2017, समलैंगिक व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक 2016, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017, बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार(द्वितीय संशोधन) विधेयक 2017 समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर संसद के दोनों सदनों में विचार किया जाना और उन्हें पारित करना शामिल है।