नौ महिला पत्रकारों की तरफ से यौन शोषण का आरोप से घिरे अपने मंत्री को लेकर भाजपा भी क्या करें क्या न करें की स्थिति में बनी हुई है। ऐेसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें अकेले ही इस लड़ाई का सामना करने के लिए छोड़ सकती है। अकबर इस अभियान के निशाने पर आए देश के पहले राजनीतिज्ञ हैं और उन पर कार्रवाई की जाए या नहीं, इस बात का फैसला लेने के लिए भाजपा और सरकार में मंथन का दौर चल रहा है। पहले वे शुक्रवार को नाइजीरिया दौरे से सीधे भारत लौट रहे थे, लेकिन अब रविवार को एक्कोटोरियल गिनी से लौटने के बाद ही उनके भविष्य पर फैसला किया जाएगा।
दरअसल#MeeToo अभियान में अकबर का नाम उछलने के बाद से सरकार और भाजपा प्रबंधन लगातार इस पर मंथन कर रहा है कि उनका इस्तीफा कराने या नहीं कराने का क्या प्रभाव होगा। यदि अकबर का इस्तीफा लिया जाता है तो ये वर्तमान सरकार में किसी मंत्री का इस्तीफा लेने का पहला मामला होगा। यही नहीं आने वाले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव को लेकर मोदी सरकार की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। क्योंकि ये पार्टी पर लगने वाला सबसे बड़ा दाग साबित हो सकता है।
एमजे अकबर पर आरोपों के बाद पार्टी इसे मामले में संतुलन बना चलना चाहती है। पार्टी के ही कुछ नेताओं ने मामले को लेकर प्रतिक्रिया दी है। स्मृति ईरानी ने कहा है कि महिलाओं का सम्मान किया जाए, वहीं मेनका गांधी का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। जबकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि वे दोषी पाए गए तो कार्रवाई जरूर होगी।
नैतिकता के आधार पर इस्तीफे का निर्देश
ऐसे में इस बात पर भी मंथन हो रहा है कि इस्तीफा लेने का पार्टी और सरकार की छवि पर क्या असर पड़ेगा। हालांकि फिलहाल यह तय किया गया है कि इस मामले में निर्णय लेने से पहले विदेश राज्य मंत्री का पक्ष जानना चाहिए। इसके बाद अगर जरूरत पड़ी तो नेतृत्व अकबर को खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की घोषणा करने का निर्देश देगा।