इस बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों के लिए शारदा पीठ को खोलने की मांग की है। शनिवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे से संबंधित एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें उन्होंने पीओके में स्थिति शारदा पीठ को कश्मीरी पंडितों के लिए खोलने की मांग की है। महबूबा मुफ्ती चाहती हैं कि भारत सरकार करतारपुर कॉरिडोर के बाद शारदा पीठ को लेकर इमरान खान से बात करे।
महबूबा मुफ्ती की इस पहल को सियासी फायदे के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि महबूबा मुफ्ती ने इस मांग के साथ ही एक तरह से हिंदुओं के समर्थन में आवाज उठाई है और जिसका फायदा वो चुनाव के समय उठाना चाहेंगी। जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर को लेकर सुर्खियों में हैं और सिख समुदाय भी सिद्धू को ही इसका श्रेय दे रहा है, ठीक उसी तरह महबूबा मुफ्ती भी शारदापीठ कॉरिडोर की मांग को उठाकर इस मौके को भुनाने की कोशिश करेंगी।
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां सभी राजनीतिक पार्टियां कर रही हैं और अब तो ये भी माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही हो सकते हैं तो ऐसे में महबूबा मुफ्ती को शारदापीठ मामले का सियासी फायदा दोनों चुनावों में हो सकता है।