इस बार मिजोरम विधानसभा चुनावों के इतिहास में सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। यहां पर 200 उम्मीदवारों में से 15 महिलाएं चुनावी रण में अपना भाग्य आजमा रही हैं। बता दें कि मिजोरम में 40 विधानसभा सीटें हैं। यहां पर सिर्फ एक ही महिला विधायक हैं। वानलालम्पुई चांग्थू ललथनमहवला कांग्रेस सरकार में मंत्री है लेकिन वो भी उपचुनावों में जीतीं थीं।
तेलंगाना चुनाव परिणाम LIVE: पहले रुझान में कांग्रेस-टीआरएस एक-एक सीट पर आगे किसने कितनी महिलाओं को दिया टिकट?मिजोरम में महिलाएं राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं है। कहा जाता है कि मिजोरम में महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। लेकिन उनको गृहिणी की भूमिका में ही देखा जाता है। सियासी दलों का कहना है कि महिलाओं को सियासत में दिलचस्पी नहीं है। यही कारण है कि वे उनको टिकट नहीं देते हैं। महिलाओं को टिकट देने की बात करें तो कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में सिर्फ एक ही महिला को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने वानलालम्पुई चांग्थू को टिकट दिया है। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने किसी भी महिला को टिकट नहीं दिया। जेडपीएम ने दो महिलाओं पर दांव लगाया। उल्लेखनीय है कि कई क्षेत्रीय दलों ने जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) नामक एक गैर-कांग्रेस, गैर-मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) गठजोड़ का गठन किया। पहली बार मिजोरम में 40 में से 39 सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा ने छह महिलाओं को टिकट दिया ।
46 वर्षों के चुनावी इतिहास में राज्य में महज चार महिलाएं ही चुनाव जीत सकी हैं। यहां पहली महिला विधायक 1978 के चुनाव में चुनी गईं थीं, जिनका नाम थनमवई था। एक और महिला नेता लल्हलीमपुई हमर 1987 में राज्य की पहली महिला मंत्री बनी थीं। इन्होंने के टिकट पर चुनाव जीता था। इसके 27 साल बाद 2014 में वनलालमपुई ने राज्य में चुनाव दर चुनाव महिलाओं की हार का सिलसिला तोड़ा।