ऐसे में बिहार में उठे सियासी तूफान के बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को मंत्रिमंडल में जगह देने को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है। यदि इस बार भी जेडीयू को मोदी मंत्रिमंडल में उम्मीद के मुताबिक जगह नहीं मिलती है तो क्या इसका असर बिहार की सत्ता ( BJP-JDU गठबंधन की सरकार) में दिखाई पड़ सकता है?
Modi Cabinet Expansion: तीन दिन में हो सकता है मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार, 17-22 नेताओं को कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना
संभवतः इस प्रश्न का जवाब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमार के खासमखास आरसीपी सिंह दे सकते हैं, क्योंकि मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाओं के बीच आरसीपी सिंह दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। वे कैबिनेट में जेडीयू के भागीदारी को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे। चूंकि मोदी कैबिनेट में एनडीए के सहयोगी एलजेपी को भी शामिल किया जाना है और बिहार में एलजेपी-जेडीयू के बीच 36 का आंकड़ा चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार इस बार मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू से पांच मंत्री चाहते हैं, क्योंकि लोकसभा और बिहार विधानसभा में JDU-BJP ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ी थी। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार आरसीपी सिंह, राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह, संतोष कुशवाहा, रामनाथ ठाकुर और चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को मंत्री बनाना चाहते हैं। हालांकि, इसपर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे।
क्या पीएम मोदी सीएम नीतीश की मांग स्वीकार करेंगे?
मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाओं के बीच सहयोगी दलों में बराबरी का प्रतिनिधित्व देना सबसे बडा़ प्रश्न बन गया है। ऐसे में ये भी सवाल है कि क्या नीतीश कुमार की पांच मंत्रियों की मांग पीएम मोदी स्वीकार करेंगे? यदि नहीं तो फिर क्या हो सकता है? सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी जेडीयू को दो मंत्री पद ऑफर कर सकते हैं और नीतीश कुमार पर ये तय करने के लिए छोड़ दिया जा सकता है कि वे किन दो लोगों को मंत्री बनाना चाहते हैं।
पर सवाल दूसरा भी है कि क्या नीतीश कुमार पीएम मोदी के दो मंत्री पद का ऑफर स्वीकार कर लेंगे या फिर कुछ अलग फैसला लेने पर विचार कर सकते हैं? सूत्रों के मुताबिक, नीतीश के पास कोई ऑप्शन नहीं है, क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू तीसरे नंबर पर थी। इसका असर जरूरी कैबिनेट प्रतिनिधित्व में दिखाई देगा।
2019 में जेडीयू ने कैबिनेट में शामिल होने से किया था इनकार
आपको बता दें कि 2019 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद जेडीयू ने मोदी कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया था। दरअसल, उस वक्त पीएम मोदी ने जेडीयू कोटे से एक सदस्य को मंत्री बनाने का ऑफर दिया था। इसपर नीतीश कुमार ने इसे एक सांकेतिक प्रतिनिधित्व करार देते हुए मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
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नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि जेडीयू को अधिक से अधिक तीन सदस्यों का प्रतिनिधित्व मिलेगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। चूंकि तब एलजेपी से रामविलास पासवान को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। अब एक बार फिर से एलजेपी औऱ जेडीयू के बीच चल रही सियासी तल्खी के बीच मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू के शामिल होने को लेकर तस्वीर साफ नजर नहीं आ रही है।