बताया जा रहा है कि इस बैठक में धारा 370 और 35ए पर अंतिम फैसला सरकार ले सकती है। लेकिन इस बारे में आधिकारिक तौर किसी ने कुछ नहीं कहा है।
जम्मू-कश्मीर में हलचल के बीच पंजाब में हाई अलर्ट अलर्ट मोड पर सेना और सतर्कता एजेंट दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। अशांति की आशंका को देखते हुए सेना, सर्तकता एजेंसियों और स्थानीय पुलिस को अलर्ट मोड में रखा गया है। जम्मू-कश्मीर में धारा-144 लागू है।
यही वजह है कि पूरी दुनिया की नजर मोदी कैबिनेट काउंसिल ऑन सिक्योरिटी ( सीसीएस ) और कैबिनेट की आज होने वाली बैठक पर टिकी है। फिलहाल इस बात को लेकर कयासों का बाजार गर्म है कि आखिर मोदी सरकार आज क्या कदम उठाने जा रही है।
फारूक अब्दुल्ला बोले- कश्मीर के लिए ये सबसे बुरा वक्त, भारत-पाक तनाव बढ़ाने वाला कोई कदम ना उठाएं चर्चा क्यों है 35ए दरअसल, 35A से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं। 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे उन्हीं को वहां का स्थायी निवासी माना जाएगा।
35ए के तहत जो व्यक्ति जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, वो राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता। सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता। सरकारी विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता, न ही राज्य सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है। किसी तरह की सरकारी सहायता और वजीफा हासिल नहीं कर सकता है।
जम्मू-कश्मीर सरगर्मी के बीच मोदी कैबिनेट की आपात बैठक, बड़े फैसले के आसार क्या हैं अनुच्छेद 370 के मायने धारा-370 के प्रावधानों के अनुसार देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार से अनुमोदन मिले बगैर लागू नहीं करा सकती है।
विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। यानि जम्मू-कश्मीर में अन्य राज्यों की तरह राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है। देश के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।