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अब चूंकि तेल के दाम पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की घोषणा से केवल एक दिन घटे। ऐसे में तेल के दामों ने तेल की सियासत की पूरी पोल खोल दी है। यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार की ओर से यह कदम पांच राज्यों में होने वाले चुनाव से ऐन पहले उठाया गया है। हालांकि किन-किन राज्यों पर केंद्र सरकार के इस कदम का कितना-कितना फर्क पड़ेगा यह तो भविष्य की बात है, लेकिन तेल के उंचाई छू रहे दामों को लेकर जनता का दर्द समझने वाली मोदी सरकार की मंशा साफ जाहिर हुई है।
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आपको बता दें कि तेल की महंगाई को लेकर विपक्ष के हमले का प्रतिकार करते हुए केंद्र सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले गुरुवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी थी। केंद्र की अपील पर भारतीय जनता पार्टी शासित कुछ राज्यों ने भी तेल पर वैट (मूल्य वर्धित कर) में कटौती की घोषणा की। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तेल के दाम में कटौती की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार के इस फैसले से चालू वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में 10,500 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। वित्तमंत्री ने कहा कि राज्यों से भी इसी प्रकार की कटौती करने की अपील की।