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मोदी-केसीआर मुलाकात से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मियां, तेलंगाना में समय से पहले हो सकते हैं चुनाव

Published: Aug 26, 2018 03:10:09 pm

Submitted by:

Dhirendra

केसीआर सितंबर में विधानसभा चुनाव भंग करने का निर्णय ले सकते हैं।

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मोदी-केसीआर मुलाकात से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मियां, तेलंगाना में समय से पहले हो सकते हैं चुनाव

नई दिल्‍ली। कुछ महीने पहले तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने गैर एनडीए और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया था। इस बीच दो महीने में पीएम मोदी से उनकी तीर बार मुलाकात के बाद वहां की सियासी चाल और सरगर्मियां दोनों बदली-बदली सी नजर आने लगी हैं। बताया जा रहा है कि इन मुलाकातों के बाद केसीआर तेलंगाना का चुनाव नवंबर में कराने का निर्णय ले सकते हैं। हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय लेने का काम बाकी है। अगर ऐसा होता है तो केसीआर सितंबर में विधानसभा चुनाव भंग करने का निर्णय ले सकते हैं। जबकि केसीआर सरकार का कार्यकाल जून, 2019 में समाप्‍त होना है।

नौ महीने पहले विधानसभा भंग होने के आसान
तेलंगाना में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि हाल ही में पीएम मोदी और के चंद्रशेखर राव के बीच हुई हालिया बैठक में तेलंगाना के विधानसभा चुनावों पर चर्चा हुई है। उसके बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि केसीआर सितंबर में तेलंगाना विधानसभा भंग कर प्रदेश के राज्‍यपाल से तत्‍काल विधानसभा चुनाव कराने का सुझाव दे सकते हैं। ऐसा हुआ तो तेलंगाना का चुनाव भी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ हो सकता है।
पांच माह पूर्व दिया था थर्ड फ्रंट पर जोर
मार्च, 2018 में सीएम केसीआर ने गैर भाजपा और गैर कांग्रेस फ्रंट की योजना बनाने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पीएम नरेंद्र मोदी से अब तक का सबसे उदार संबंध दिखाया है। शनिवार को दोनों ने बीते दो महीने में तीसरी बार मुलाकात की। अगस्त में इनकी दूसरी मुलाकात हुई। इसके साथ ही मोदी ने केसीआर के बेटे और तेलंगाना के आईटी मंत्री केटी रामा राव को भी मिलने के लिए समय दिया। पीएम मोदी और के चंद्रशेखर राव के बीच हुई हालिया बैठक में तेलंगाना के विधानसभा चुनावों पर चर्चा होने की सूचना हैा
चुनाव आयोग से भी इस मुद्दे पर हुई है चर्चा
जानकारी के मुताबिक केसीआर सितंबर में विधानसभा भंग कर देंगे। ऐसे में चुनाव आयोग यहां का चुनाव भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ करा सकता है। हालांकि केसीआर यह नहीं चाहते कि चुनाव आयोग उनके साथ वह करे जो साल 2003 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह ने चंद्रबाबू नायडू के साथ किया था। उस समय मुख्य चुनाव आयुक्त ने आंध्र प्रदेश सीएम को तुरंत चुनाव का लाभ नहीं लेने दिया। इसकी वजह थी अक्टूबर 2003 में चंद्रबाबू नायडू पर नक्सलियों की ओर से किए गए हमले के चलते वह सहानुभूति ले सकते थे। चुनाव साल 2004 के अप्रैल में कराए गए। इन संदेहों को दूर करने के मकसद से ही केसीआर के वरिष्ठ सलाहकार इस हफ्ते में चुनाव आयोग गए थे। विधानसभा भंग करने से पहले ही वो इस बात को जान लेना चाहते हैं कि चुनाव कम हो सकता है।
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