समलैंगिकता पर मोहन भागवत क्या बोले?
संघ प्रमुख ने कहा कि समाज में समलैंगिकता के कुछ लोगों का एक तबका है, जो हमारे समाज के ही अंदर है। इसलिए समाज को उनकी व्यवस्था करनी चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि इस मुद्दे पर हो हल्ला नहीं होना चाहिए और ना ही इससे कोई फायदा होना है। समाज बहुत बदला है इसलिए समाज स्वस्थ रहे ताकि वे (समलैंगिक) अलग-थलग पड़कर गर्त में न गिर जाएं। आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को भारत में आपराधिक श्रेणी से बाहर कर दिया था।
‘अंतरजातीय विवाह करने में संघ के स्वंयसेवक आगे’
कार्यक्रम के आखिरी दिन मोहन भागवत ने अंतरजातीय विवाह को लेकर भी की बातें कहीं। उन्होंने कहा कि अंतरजातीय विवाह करने में संघ के स्वंयसेवक सबसे आगे रहते हैं। भागवत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह का हम समर्थन करते हैं। मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए। भारत में संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह किया है। सबसे पहला अंतरजातीय विवाह संघ के स्वंयसेवक ने ही किया था, जिसे भीमराव अंबेडकर ने आशीर्वाद भी दिया था। समाज को अभेद दृष्टि से देखना जरूरी है। इससे हिंदू समाज नहीं बंटेगा। इसलिए हम सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं।