हांलाकि विपक्ष के आक्रामक रवैये को संभालने के लिए सत्ताधारी सरकारी हर कोशिस कर रही है। लेकिन सत्र के दूसरे दिन ही सत्ताधारी मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव दे दिया है, जिस पर शुक्रवार को चर्चा के साथ वोटिंग भी होगी। बता दें कि मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव आया है। हांलाकि सरकार इस प्रस्ताव के विफल होने को लेकर आश्वस्त है क्योंकि उसके पास बहुमत के आंकड़े ज्यादा हैं।
अविश्वास प्रस्ताव से दो बार गिरी सरकार गौरतलब है कि अभी तक के इतिहास में संसद में 26 बार अविश्वास प्रस्ताव आए हैं। जिनमें से सिर्फ दो बार ही विपक्ष को कामयाबी मिली।
पहली बार अविश्वास प्रस्ताव देश की संसद में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव 1963 में लाया गया था, जब देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ जेबी कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। बता दें कि नेहरू सरकार के खिलाफ लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उस समय मात्र62 वोट पड़े थे जबकि प्रस्ताव के विोध में 347 वोट पड़े, जिससे ये विफल हो गया।
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव, इंदिरा गांधी के नाम भारतीय संसद के इतिहास में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी के शासनकाल में लाया गया था। इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सबसे ज्यादा 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। कांग्रेस सरकार का खिलाफ 15 प्रस्ताव में से चार प्रस्ताव अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद रहे ज्योति बसु ने रखे थे।
मोरारजी देसाई ने दिया था इस्तीफा संसद में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव को कामयाबी 1978 में मिली थी। जब इमरजेंसी के बाद देश मे चुनान हुए और जीत के साथ जनता पार्टी को मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए। दूसरे प्रस्ताव में पार्टी में चल रहे कुछ मतभेतों को चलते मोरारजी देसाई ने हार को भांपते हुए मतदान से पहले ही खुद इस्तीफा दे दिया था।
LIVE: अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले गोलबंदी जारी, अग्निपरीक्षा मोदी सरकार की या विपक्ष की अटल बिहारी वाजपेयी भी हारे एक बार.. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी अपने कार्यकाल के दौरान दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। जिसमें से पहली बार 1999 में जयललिता की पार्टी के समर्थन वापस लेने की वजह से अविश्वास प्रस्ताव में एक वोट के अंतर से हार गई थी लेकिन दूसरी बार उन्होंने विपक्ष का हार का मुंह दिखाया।
वहीं 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ सीपीएम ने अविश्वास प्रस्ताव रखा था। मतदान में यूपीए सरकार कुछ वोटों से बच गई। अब इस बार टीडीपी ने संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा है, जिस पर आज मतदान होना है। मतदान के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव का मामला सुलझ पाएगा।