JNUSU चुनावः कन्हैया बोले लोग जानना चाहते हैं ABVP का क्या हुआ?
Published: Sep 11, 2016 03:41:00 pm
इस चुनाव में एबीवीपी खाता खोलने में भी नाकाम रही, सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट गठबंधन ने परचम लहराया है
नई दिल्ली। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट गठबंधन को मिली शानदार जीत के बाद कन्हैया कुमार के निशाने पर एबीवीपी आ गया है। इस चुनाव में एबीवीपी खाता खोलने में भी नाकाम रही। सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट गठबंधन ने परचम लहराया है।
कन्हैया का एबीवीपी और बीजेपी पर वार
AISA और SFI गठबंधन की जीत पर कन्हैया कुमार ने एबीवीपी और भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसा है। कन्हैया ने पार्टी को जीत की बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा कि देश जानना चाहता है। जेएनयूएसयू चुनावों में एबीवीपी का क्या हुआ? जेएनयू को बंद करो… लो, एबीवीपी को बंद हो गया।
जेएनयू में लेफ्ट के किले को भेदना मुश्किल चुनौती
इस बार के चुनाव में एबीवीपी उम्मीद कर रही थी कि उसका प्रदर्शन पिछले साल से अच्छा रहेगा। लेकिन उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। चारों महत्वपूर्ण सीटें जीतकर लेफ्ट ने साबित कर दिया है कि जेएनयू में उसके किले को भेदना बहुत मुश्किल चुनौती है।
AISA के मोहित पांडे बने अध्यक्ष
बता दें कि इन चुनावों में अध्यक्ष पद पर AISA के मोहित पांडे को जीत मिली है। जबकि उपाध्यक्ष पद अमल पीपी की झोली में गई। वहीं महासचिव पद शतरूपा चक्रवर्ती ने कब्जा किया और तबरेज हसन संयुक्त सचिव सीट पर जीत हासिल हुई। पिछली बार संयुक्त सचिव की सीट एबीवीपी के खाते में गई थी।
ABVP को करारा झटका
दरअसल जेएनयू छात्रसंघ पर सालों से वामपंथी संगठनों का प्रभाव रहा है और पिछले साल आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी को एक सीट हासिल हुई थी और 14 सालों के अंतराल के बाद वह विश्विद्यालय में वापसी कर सकी। लेकिन इस चुनाव में वो सीट भी ABVP के हाथ से खिसक गई। आइसा और एसएफआई गठबंधन ने काउंसलर की भी 31 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की। एबीवीपी को केवल संस्कृत विभाग में काउंसलर की सीट मिली।
कैंपस में देशविरोधी नारे लगाने का मामला
गौरतलब है कि वाम दल छात्र संगठनों और एबीवीपी के बीच 9 फरवरी की घटना के बाद कैंपस में अपनी-अपनी विचाराधारा के प्रभाव की जंग थी। 9 फरवरी को कैंपस में कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे जिसके बाद देशद्रोह के मामले में निवर्तमान जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 3 छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद कन्हैया कुमार केंद्र सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आ गए थे।