दरअसल, शुरुआत में NCP का कहना था कि महाराष्ट्र के जनता ने शिवसेना और बीजेपी बहुमत दिया है। इसलिए, वे ही सरकार बनाएं। जबकि, NCP खुद को विपक्ष में बैठने की बात कह रही थी। हालांकि, बाद में एनसीपी ने कहा कि अगर शिवसेना उनके साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती है तो उसे बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ना होगा। सोमवार को वहीं हुआ, शिवसेना का एकमात्र मोदी सरकार में शामिल मंत्री अरविंद सांवत ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा कि यही है गठबंधन टूटने का सबूत।
गौरतलब है कि शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन करीब 30 साल पुराना था। दोनों का गठबंधन 1989 में हुआ था। ये वो वक्त था जब शिवसेना की कमान उसके संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के हाथों में थी, जो हिंदुत्व का बड़ा चेहरा थे। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन भी हिंदुत्व के विचार पर ही आगे बढ़ा। बाला साहेब ठाकरे के जिंदा रहने तक दोनों पार्टियां का गठबंधन बदस्तूर चलता रहा लेकिन 2012 में उनके निधन के बाद जब 2014 में विधानसभा चुनाव हुए तो शिवसेना और बीजेपी अलग हो गईं। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, बाद में शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गई। वहीं, 2019 के चुनाव में दोनों साथ-साथ लड़े। लेकिन, सरकार गठन को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बना पाई और अब दोनों के रास्ते जुदा हो गए हैं। शिवसेना का कहना है कि अब वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाएगी बस इंतजार है कांग्रेस के फैसले की।