प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इस बात की वकालत कर चुके हैं कि देश भर में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए जाने चाहिए। जहां इसके लिए राजनीतिक सहमति तैयार करने की कोशिश हो रही है, चुनाव आयोग और विधि आयोग सहित सभी संबंधित एजेंसियां इससे जुड़े जरूरी जमीनी तैयारियों में जुटी हैं। कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर वोटिंग मशीनों और वीवीपैट का भी पूरा हिसाब-किताब लगाया है। इसने पाया है कि इस समय चुनाव आयोग के पास 14.87 लाख बैलट यूनिट और 14.6 लाख सेंट्रल यूनिट उपलब्ध हैं। इनमें से 9.3 लाख बैलट यूनिट और सेंट्रल यूनिट वर्ष 2006 की ही हैं, इसलिए इन्हें बदलना होगा। इस तरह भविष्य में उपयोग के लायक इस समय सिर्फ 5.5 लाख बैलट यूनिट और 5.3 लाख सेंट्रल यूनिट ही हैं।
22 लाख से ज्यादा बैलट यूनिट तुरंत चाहिए
ऐसे में एक साथ पूरे देश में चुनाव करवाने के लिए तत्काल 22.43 लाख बैलेट यूनिट, 18.7 लाख सेंट्रल यूनिट और कम से कम 25 हजार वीवीपैट यूनिट की जरूरत होगी। सरकार ने 13.95 लाख बैलट यूनिट, 9.3 लाख कंट्रोल यूनिट और 16 हजार वीवीपैट की खरीद की मंजूरी दे दी है। इस पर ही कुल 4.5 हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। इसके बाद भी 3 लाख बैलट यूनिट, 4 लाख सेंट्रल यूनिट और 8.5 हजार वीवीपैट की जरूरत रहेगी। इन पर 3 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च तुरंत आएगा।
कम सेल्फ लाइफ बनी समस्या
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं कि इसके अलावा चूंकि मशीनों का जीवन काल सिर्फ 15 साल होता है, इसलिए इन्हें इनकी निर्माण तिथि के अनुरूप हटाते रहना होगा। इस तरह हर पांच साल में कम से कम 3 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत सिर्फ इन मशीनों पर होगी।
संविधान के पांच आर्टिकिल में बदलाव करना होगा
इसके अलावा बड़ी संख्या में अतिरिक्त मतदान कर्मी और सुरक्षा कर्मी की भी जरूरत होगी। साथ ही कानून मंत्रालय ने बताया है कि इसके लिए संविधान के पांच अनुच्छेदों को बदलने, सभी राजनीतिक दलों की सहमति हासिल करने, सभी राज्य सरकारों से प्रस्ताव पारित करवाना भी जरूरी होगा।
साथ चुनाव करवाने पर कानून मंत्रालय ने लगाया हिसाब-किताब
10 लाख- कुल मतदान केंद्र
28 लाख- बैलेट यूनिट जरूरी
24 लाख- कंट्रोल यूनिट जरूरी