मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निर्मोही अखाड़ा ने केंद्र सरकार की उस याचिका का विरोध किया है जिसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की गैर विवादित भूमि को लौटाने की अपील की थी।
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अखाड़े ने कहा है कि अगर सरकार की यह अपील मान ली जाती है तो वो सारे मंदिर भी नष्ट हो जाएंगे जिनका संचालन अखाड़ा कर रहा है और यह अखाड़े की स्वायत्तता का हनन होगा।
मालूम हो बीती 29 जनवरी को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि राम जन्मभूमि -बाबरी स्थल पर अधिग्रहित की गई 67 एकड़ गैर विवादित जमीन को उनके असली मालिकों को लौटाने की अनुमति दी जाए।
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सरकार ने कहा था कि मूल विवाद 67 एकड़ जमीन पर नहीं बल्कि 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक पर है। याचिका में केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि न्यास की उस याचिका का भी हवाला किया जिसमें न्यास ने 67 एकड़ जमीन को उनके असली मालिकों को लौटाने की अपील की थी।
बता दें कि उच्चतम न्यायालय इससे पहले मूल विवादित स्थल के पास अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला कर चुका है। विवादित स्थल से जुड़ी इस 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण 1991 में केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2.77 एकड़ विवादित स्थल को तीनों वादियों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटे जाने का आदेश दिया था। लेकिन अदालत के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक के बाद एक 14 याचिकाएं दायर हो गईं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सारी जमीन फिलहाल केंद्र के पास सुरक्षित रखी जाए और फैसला आने के बाद ही विजयी पक्ष को सौंपी जाए।