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नितिन गडकरी बोले- हमने 1947 वाली गलती दोहराई तो अच्छे दिन कभी नहीं आएंगे

locationनई दिल्लीPublished: Feb 28, 2020 05:44:46 pm

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Dhirendra

5 हजार साल में कभी हिंदू राजा ने नहीं तोड़ी मस्जिद
वीर सावरकर ने राष्ट्रवादी अवधारणा हमारे लिए आवश्यक
देश को अखंड बनाए रखने के लिए उनकी बातों पर ध्यान देना जरूरी

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 5 हजार साल के इतिहास में ऐसी कोई घटना नहीं घटी कि कि हिंदू राजा ने किसी मस्जिद को तोड़ा हो या किसी को तलवार चलाने के लिए मजबूर किया हो। हमारी हिंदू परंपरा-हमारी भारतीय परंपरा प्रगतिशील, समावेशी और सहिष्णु है। ये बात नितिन गडकरी ने अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन में कही।
साहित्य सममेलन में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को सख्त निर्देश दिए थे कि किसी भी धर्म के पवित्र स्थान का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी धर्म की महिलाएं हों, उन्हें माता की तरह सम्मान देना चाहिए।
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केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हमारी परंपरा न तो संकीर्ण है, न जातिवादी है, और न हीं सांप्रदायिक है। यदि आप भविष्य में भारत को जीवित रखने की इच्छा रखते हैं, सावरकर को भूल जाएंगे तो जो 1947 में एक बार हुआ, मुझे लगता है कि आगे भविष्य में दिन अच्छे नहीं होंगे। मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं। गडकरी ने कहा कि वीर सावरकर ने जिस राष्ट्रवादी अवधारणा दी थी, वह आज हमारे लिए आवश्यक है। हमने उस पर ध्यान नहीं दिया तो एक बार देश का बंटवारा होते देखा है। यदि फिर ऐसा होता है तो भारत सहित पूरी दुनिया में न समाजवाद रहेगा और न ही लोकतंत्र होगा और न ही धर्मनिरपेक्षता।
गडकरी ने कहा कि सेक्युलर का मतलब सेक्युलरिज्म नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है सभी का विश्वास। यह एक प्रकार की शुद्ध हिंदू परंपरा है। हमने सभी संस्कृतियों को सम्मान दिया है। हमारी विशेषता विविधता में एकता है। आज के परिदृश्य में हमें समावेशी, प्रगतिशील और सभी विश्वासों के साथ सही मायने में आगे बढ़ना है, हालांकि अल्पसंख्यक या किसी भी समूह को खुश करना सेक्युरिज्म नहीं होना चाहिए।
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सावरकर का उल्लेख करते हुए गडकरी ने कहा कि उन्होंने एक भाषण में जिक्र किया था कि जैसे ही देश में 51 प्रतिशत मुसलमान हो जाएंगे, देश में न तो लोकतंत्र और न ही समाजवाद है और न ही धर्मनिरपेक्षता बचेगा। यह तब तक है जब मुसलमान अल्पमत हैं। बहुसंख्यक मुस्लिम होने के बाद भी किस तरह से देश चलता है, उसके लिए पाकिस्तान, सीरिया को देखें।
हम मुस्लिम या मुस्लिम परंपरा के विरोध में नहीं हैं। जो आतंकवादी कहते हैं कि हम अच्छे हैं, शेष सभी काफिर हैं, सभी को हटा दें, जो विकास के विरोध में हैं, हम उनके और उनकी प्रवृति के खिलाफ हैं।
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