राजनीति

आबादी में आगे, विकास में पीछे: दिल्ली की यह सीट पार्टियों के लिए अचानक क्यों बन गई हॉट चॉइस

राजधानी दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट इस बार सबसे अधित चर्चा में है
दिल्ली की तीन प्रमुख पार्टियों ने अपने सबसे दिग्गज उम्मीदवार को यहां से टिकट दी है
हर उम्मीदवार की इस सीट के लिहाज से अपनी-अपनी खासियते हैं

नई दिल्लीApr 25, 2019 / 09:04 am

Shweta Singh

नई दिल्ली। राजधानी के सीमापुरी, बुराड़ी और सीलमपुरी जैसे इलाकों वाली नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट में सबसे घनी आबादी बसती है, लेकिन बात अगर मूलभूत सुविधाओं की या विकास की हो तो यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। लेकिन इन दिनों लोकसभा के चुनावी हवाओं में इस सीट का नाम काफी चर्चा में है। इसकी वजह है कि इस सीट से पार्टियों ने इस बार अपने सबसे मजबूत खिलाड़ियों पर दांव लगाया है। देखते ही देखते यह सीट VIP कैटेगरी में तब्दील हो चुकी है।

एक तरफ जहां कांग्रेस ने अपनी दिग्गज नेत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली के बजाय इस सीट से मैदान में उतारा है, तो दूसरी ओर ‘आप’ ने अपनी पार्टी के पूर्व प्रदेश कनवीनर दिलीप पांडेय को टिकट दी है। वहीं, भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद मनोज तिवारी पर ही दोबारा भरोसा जताया है।इस तरह ये मुकाबला बीते कल, आज और आनेवाले कल का बन चुका है, जिसमें शीला कांग्रेस की बीता कल, भाजपा का आज मनोज तिवारी और आप के दिलीप पांडेय भविष्य बनाने की रेस में हैं। इन तीनों ही दावेदारों के इस सीट के लिहाज से अपना-अपना दम-खम है।

 

ये होंगे नतीजों के निर्णायक कारक

पहले इस सीट के संबंध में कहा जाता था कि यहां पूर्वांचलियों की बहुसंख्यता के कारण वहां का कैंडिडेट चुनाव में आसानी से बाजी मार सकता है। इसके साथ ही यहां ब्राह्मण कैंडिडेट के जीतने के भी सबसे अधिक संभावनाएं बताई जाती है। शायद यही वजह थी कि कांग्रेस ने भी बिना कोई चांस लिए जयप्रकाश अग्रवाल की जगह शीला दीक्षित को टिकट दिया है। अब जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से तीनों पार्टियों के बीच मुकाबला बराबरी का हो चुका है। ऐसे में उम्मीदवारों और पार्टियों की छवि, प्रभाव और खासियत ही नतीजों के निर्णायक कारक होंगे।

उम्मीदवार (पार्टी)पॉजिटिव पॉइंटपूर्वांचली फैक्टरब्राह्मण फैक्टरनेगेटिव पॉइंटअब तक का राजनीतिक सफर
मनोज तिवारी (BJP)लोकप्रियता, पार्टी की मजबूत स्थितिहांहांकई विवादों में घिरेसीट से मौजूदा सांसद, पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष,

शीला दीक्षित (कांग्रेस)अनुभव, दिल्ली की ही निवासी (प्रारंभिक और कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली से ही)हांहांसत्ता और दिल्ली से काफी समय से दूरकेंद्रीय मंत्री, लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री, केरल की राज्यपाल, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (जनवरी 2019 से)
दिलीप पांडेय (AAP)नया विकल्पहांहांजनता में लोकप्रियता की कमीपार्टी के दिल्ली के पूर्व कनवीनर, अन्ना के आंदोलन के नेता

इसलिए यह सीट बनी सबकी फेवरेट चॉइस

– भाजपा से सीटिंग MLA मनोज तिवारी के जीत के रथ को थामने और मुकाबले को अधिक कड़ा बनाने के लिए कांग्रेस और AAP ने भी इसी खासियत वाले उम्मीदवार को उतारा है।

– पूर्वांचलियों के राजनीति में सक्रयिता से वोटिंग टर्नआउट बेहतर होने की संभानवा का फायदा।

– सबसे अधिक आबादी होने के बावजूद इलाके में विकास काफी कम हुआ है, विपक्षी (कांग्रेस और आप) इसका फायदा लेने की कोशिश में नजर आ रहे हैं।

कैंडिडेट्स का पूर्वांचली कनेक्शन

बता दें कि लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने वाली शीला की पूरी पढ़ाई दिल्ली की है। हालांकि, शादी के बाद शीला पूर्वांचली ब्राह्मण हो गईं। उनकी शादी पूर्व केंद्रीय मंत्री और स्वतंत्रता सेनानी उमा शंकर दीक्षित के आईएएस बेटे विनोद कुमार दीक्षित से हुई जो लखनऊ से हैं। बेशक बीते कुछ समय उन्हें दिल्ली से दूर केरल की राज्यपाल की भूमिका संभालनी पड़ी थी। लेकिन इस साल जनवरी से वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाल रहीं हैं। वहीं, यूपी के गाजीपूर जिले से आनेवाले दिलीप पांडेय इस सीट से ‘आप’ के पूर्वांचली फेस हैं। पांडेय ‘आप’ के दिल्ली के कनवीनर थे, लेकिन 2017 में MCD इलेक्शन में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। वहीं, नॉर्थ ईस्ट सीट से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी भाजपा के कैंडिडेट हैं। बिहार में जन्में और बनारस में एजुकेशन लेने वाले तिवारी शुद्ध रूप से पूर्वांचली हैं।

 

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