मनमोहन ही नहीं, पीएम मोदी ने भी कुछ मुद्दों पर साधी है 'चुप्पी'
पिछले चार सालों में कुछ ऐसे मौके आए जब भाजपा का नसीब बदला और पीएम मोदी भी मौनी बाबा हो गए।

नई दिल्ली। केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के चार सालों के दौरान कई मौके ऐसे आए जब अपने भाषणों के लिए मशहूर पीएम मोदी ने चुप्पी साधे रखी। इस चुप्पी पर विपक्ष की ओर से लगातार सवाल उठाए जाने के बाद भी उन्होंने इसका जवाब देना जरूरी नहीं समझा। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी मनमोहन सिंह को मौनी बाबा कहा करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी भी कई अहम मासलों पर चुप रहे। अब राहुल गांधी उनकी इस चुप्पी पर सबसे ज्यादा तंज कसने लगे हैं।
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किन-किन मुद्दों पर साधी चुप्पी?
पिछले चार साल के दौरान विपक्ष्ा ने कई मुद्दों पर पीएम मोदी पर चुप रहने का आरोप लगाया था। इनमें नीरव मोदी और पीएनबी घोटाला, नोटबंदी से काला धन कैसे बाहर आया और कितना आया। इसका हिसाब उन्होंने आज तक नहीं दिया। न्यपालिका में हस्तक्षेप, दादरी का अखलाक हत्याकांड, व्यापम घोटाला, राफेल डील का विवाद, चीन के साथ डोकलाम विवाद, ललित मोदी की मदद, विजय माल्या, दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन व आत्महत्या, जय शाह और भाजपा की संपत्ति, भाजपा नेताओं की बयानबाजी, देश में दुष्कर्म, विदेश यात्रा पर किए गए खर्च, चुनाव प्रचार में भाजपा का बेशुमार खर्च, आधार का गुणगान क्यों, भाजपा शासित राज्यों में कानून की धज्जियां उड़ाया जाना आदि।
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किसने कहा पीएम मोदी को मौनी बाबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शिवसेना ने बड़ा हमला बोलते हुए उन्हें मौनी बाबा करार दिया है। शिवेसना ने अपने मुखपत्र में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री घरेलू मुद्दों पर तभी बोलते हैं जब वह विदेश में होते हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में इस लेख को मनमोहन मोदी हेडलाइन दी गई है, जिसमे कहा गया है कि देश की राजधानी को लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो, पेरिस या किसी और शहर को बना देना चाहिए, नई दिल्ली को फिल्म सेट के तौर पर स्थानांतरित कर देना चाहिए और इसे विदेशी शहर के तौर पर दिखाना चाहिए। मनमोहन सिंह का समर्थन इस लेख में मनमोहन सिंह के उस सुझाव का भी समर्थन किया गया है जिसमे मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी से कहा था कि पीएम मोदी को उस सुझाव का पालन करना चाहिए जो उन्होंने मुझे पहले दी थी। पीएम मोदी को बोलना चाहिए। शिवसेना ने कहा कि मनमोहन सिंह ने पीएम को सही सलाह दी है, पूरा देशा यही महसूस कर रहा है कि पीएम को इन मुद्दों पर भारत में बोलना चाहिए। लेख में कहा गया है कि जो मनमोहन सिंह ने कहा है वह पूरा सच नहीं है, वह आधा सच है। विदेश में चिंगारी शोला बन जाती है। शिवसेना ने अपने लेख में कहा है कि जो मनमोहन सिंह ने कहा है वह आधा सच है, मोदी भारत के मौनी बाबा बन गए हैं, लेकिन जब वह विदेश जाते हैं तो बात करते हैं। उन्हें भारत में इन मुद्दों पर बात करना अच्छा नहीं लगता है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब मनमोहन सिंह ने बोलना शुरू कर दिया है और मोदी मौनी बाबा हो गए हैं। क्या इसे ऐसा माना जा सकता है कि नसीब भाजपा से बदला ले रहा है?
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