नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गोडसे शब्द को लेकर नई व्यवस्था दी है। इसके तहत उन्होंने कहाकि, नाथुराम गोडसे के बारे में उल्लेख को छोड़कर गोडसे अब असंसदीय शब्द नहीं है। प्रतिबंध हटाने का आदेश गुरूवार को पारित हुआ। इससे नासिक से शिवसेना सांसद हेमंत तुकाराव गोडसे को राहत मिली। उन्होंने ही इस शब्द को असंसदीय श्रेणी से हटाने की मांग की थी।
उन्होंने लोकसभा और राज्य सभा के पीठासीन अधिकारियों को पत्र लिख आश्चर्य जताया कि किसी सांसद का उपनाम असंसदीय कैसे हो सकता है। उन्होंने इस शब्द को असंसदीय शब्दों की सूची से हटाने की मांग करते हुए कहा था कि यह मेरी गलती नहीं है कि मेरा उपनाम गोडसे है। इसके अलावा मैं इसे बदल नहीं सकता और बदलूंगा भी नहीं क्योंकि यह मेरा पैतृक उपनाम है। प्रतिबंध मेरे उपनाम और मेरे पूर्वजों पर अनुचित कलंक लगाता है। गोडसे समुदाय के लोग बड़ी संख्यामें महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं।
गौरतलब है कि संसद ने 1956 में गोडसे शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह फैसला 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ह त्या के बाद लिया गया था। महात्मा गांधी की हत्या नई दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने की थी। सांसद हेमंत तुकाराम गोडसे को शीतकालीन सत्र के दौरान पता चला कि संसद में गोडसे शब्द के इस्तेमाल पर रोक है। इसके बाद उन्होंने इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
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