पहली बार कहां आया ये आईडिया
चुनाव आयोग ने पहली बार 1983 में इसका सुझाव दिया था। आयोग ने कहा था कि एक ऐसी प्रणाली को विकसित किया जाए जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ हो। 2017 में भी चुनाव आयोग ने ऐसा ही एक सुझाव दिया था। उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , लालकृष्ण आडवाणी और नीतीश कुमार भी इसके हक में अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। लेकिन पीएम मोदी इस बात को लेकर गंभीर हैं और वन नेशन-वन इलेक्शन के सपने को साकार करना चाहते हैं।
चुनाव आयोग ने पहली बार 1983 में इसका सुझाव दिया था। आयोग ने कहा था कि एक ऐसी प्रणाली को विकसित किया जाए जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ हो। 2017 में भी चुनाव आयोग ने ऐसा ही एक सुझाव दिया था। उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , लालकृष्ण आडवाणी और नीतीश कुमार भी इसके हक में अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। लेकिन पीएम मोदी इस बात को लेकर गंभीर हैं और वन नेशन-वन इलेक्शन के सपने को साकार करना चाहते हैं।
इसको लेकर क्या दिया जाता है तर्क
कहा जाता है कि लगातार चुनावों के चलते सरकारी योजनाएं लटक जाती हैं। सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है। इससे न सिर्फ जरूरी सेवाओं पर असर पड़ता है बल्कि चुनाव ड्यूटी में मानव संसाधनों भी बेकार जाता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि ये किसी एक पार्टी या एक व्यक्ति का एजेंडा नहीं है। देश के फायदे के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। इसके लिए चर्चा होनी चाहिए। ताकि चार-साढ़े साल तक देश के लिए कामों पर चर्चा हो।
कहा जाता है कि लगातार चुनावों के चलते सरकारी योजनाएं लटक जाती हैं। सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है। इससे न सिर्फ जरूरी सेवाओं पर असर पड़ता है बल्कि चुनाव ड्यूटी में मानव संसाधनों भी बेकार जाता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि ये किसी एक पार्टी या एक व्यक्ति का एजेंडा नहीं है। देश के फायदे के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। इसके लिए चर्चा होनी चाहिए। ताकि चार-साढ़े साल तक देश के लिए कामों पर चर्चा हो।
सरकार पर आर्थिक बोझ होगा कम
आपको बता दें कि 2018 में 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। जबकि 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। वर्ष 2009 में चुनाव पर करीब एक हजार करोड़ खर्च हुआ। 2014 में करीब चार हजार करोड़ खर्च हुआ। उसके बाद विधानसभा चुनाव में करीब 3 हजार करोड़ खर्च हुए। एक करोड़ से ज्यादा लोग 9 लाख 30 हजार पोलिंग स्टेशन पर जाते हैं। सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाई जाती है। पीएम मोदी का कहन है कि एक साथ चुनाव करा लिए जाएं तो देश एक बड़े बोझ से मुक्त हो जाएगा।
आपको बता दें कि 2018 में 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। जबकि 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। वर्ष 2009 में चुनाव पर करीब एक हजार करोड़ खर्च हुआ। 2014 में करीब चार हजार करोड़ खर्च हुआ। उसके बाद विधानसभा चुनाव में करीब 3 हजार करोड़ खर्च हुए। एक करोड़ से ज्यादा लोग 9 लाख 30 हजार पोलिंग स्टेशन पर जाते हैं। सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाई जाती है। पीएम मोदी का कहन है कि एक साथ चुनाव करा लिए जाएं तो देश एक बड़े बोझ से मुक्त हो जाएगा।
इससे संभावित नुकसान को भी नहीं कर सकते खारिज
अगर भविष्य में ऐसा होता है कि बार-बार के चुनावों से निजात पाने के लिए लोगों को एक ही बार वोट डालने के मजबूर किया गया तो यह लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। क्योंकि ऐसा होने पर लोग पांच साल तक एक ही सरकार को ढोने के लिए विवश होंगे। ऐसे में क्या एक देश एक चुनाव को लोकतांत्रिक कहा जा सकता?
अगर भविष्य में ऐसा होता है कि बार-बार के चुनावों से निजात पाने के लिए लोगों को एक ही बार वोट डालने के मजबूर किया गया तो यह लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। क्योंकि ऐसा होने पर लोग पांच साल तक एक ही सरकार को ढोने के लिए विवश होंगे। ऐसे में क्या एक देश एक चुनाव को लोकतांत्रिक कहा जा सकता?