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एक देश एक चुनाव: कुछ सहयोगी भाजपा के विरोध में तो विपक्ष में भी एका नहीं, 2019 में नहीं लगता संभव

locationनई दिल्लीPublished: Jul 09, 2018 02:13:39 pm

Submitted by:

Mazkoor

एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर विभिन्‍न राजनीतिक दलों की राय जुदा है। ऐसा लगता है कि 2019 के आम चुनाव के समय एक साथ चुनाव कराना आसान नहीं होगा।

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एक साथ चुनाव : भाजपा के कुछ सहयोगी विरोध में तो विपक्ष में भी एका नहीं, 2019 में नहीं लगता संभव

नई दिल्ली। देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर बहस दिलचस्‍प मोड़ लेती जा रही है। इस मुद्दे पर भाजपा के कुछ सहयोगी दलों की राय अलग है तो वहीं उसे कुछ प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन मिल रहा है। अलग-अलग विचारों के सामने आने से एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर एका बनती नहीं दिखती है। हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक देश एक चुनाव के मिशन की वकालत करते रहे हैं। इसलिए इस मुद्दे पर एक राय कायम करने और इसका मसौदा तैयार करने के उद्देश्‍य से केंद्रीय कानून आयोग ने दो दिन की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में तमाम राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ राज्यों की मान्यता प्राप्त पार्टियों के प्रतिनिधियों को भी न्‍योता मिला था। लेकिन इस बैठक में भी कोई ठोस निष्‍कर्ष सामने नहीं आ सका है।

एनडीए की सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने जताया ऐतराज

इस मुद्दे पर कई विपक्षी पार्टियों की राय केंद्र सरकार की राय से अलग है तो भाजपा की गोवा सरकार में शामिल उनका एक सहयोगी दल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) भी इस मसौदे के खिलाफ है। उसका मानना है कि एक साथ चुनाव क्षेत्रीय हित में नहीं हैं। मीडिया से बात करते हुए गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने उक्‍त बातें कहीं। उनके अनुसार, यह प्रस्ताव पूरी तरह अव्यवहारिक है। ऐसा करना क्षेत्रीय भावनाओं के विरुद्ध होगा। अगर इस प्रस्ताव पर अमल किया गया तो क्षेत्रीय मसलों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। वह ठंडे बस्ते में चले जाएंगे।

एनडीए के गोवा सरकार में हैं कृषि मंत्री

बता दें कि गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्‍यक्ष विजय सरदेसाई गोवा की एनडीए सरकार में शहर एवं ग्राम नियोजन और कृषि मंत्री भी हैं। उन्‍होंने कहा कि सुनने में तो यह सुझाव अच्छा लगता है, लेकिन इससे क्षेत्रीय मुद्दे कमजोर पड़ जाएंगे। अगर एक साथ चुनाव हुए तो हमारे जैसे क्षेत्रीय दल और मसलों की अहमियत कम हो जाएगी। इस वजह से हम इसका विरोध कर रहे हैं।

कुछ विपक्षी दल हैं विरोध में तो कुछ हैं साथ

प्रमुख विपक्षी दलों में तृणमूल कांग्रेस इस प्रस्‍ताव के विरोध में है। उसका मानना है कि संविधान की मूल संरचना में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। एक साथ चुनाव मूल संरचना के खिलाफ हैं। उन्‍होंने तर्क दिया कि मान लीजिए कि केंद्र-राज्य में एक साथ चुनाव हुए और केंद्र की सरकार गिर गई तो क्‍या फिर से राज्‍यों के भी चुनाव कराए जाएंगे। यह संभव नहीं है। हमारी पहली प्राथमिकता लोकतंत्र और सरकार होनी चाहिए, पैसा नहीं। इसके अलावा डीएमके भी इसके विरोध में है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (एसपी) व तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को इस मुद्दे पर भाजपा के साथ खड़ी दिखाई दीं। सपा नेता रामगोपाल यादव ने इस मुद्दे पर सहमति जताई तो टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय कानून आयोग को इस संबंध मे पत्र भेजने की बात कही है।

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