राजशेखरन की नियुक्ति पर मिजोरम में बवाल नहीं थम रहा है
आपको बता दें कि मिजारम के नए राज्यपाल राजशेखरन ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) निर्भय शर्मा की जगह ली है। लेकिन अब उनकी नियुक्ति को लेकर मिजोरम में बवाल नहीं थम रहा है। राजशेखरन की नियुक्ति को लेकर क्रिश्चयनिटी के लिए खतरा बताया जा रहा है। इसके लिए बकायादा मिजोरम की दो संगठन ग्लोबल काउंसिल ऑफ इंडियन क्रिश्चियंस और पीपुल्स रिप्रजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेटस ऑफ मिजोरम (PRISM) ने राजशेखन के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है। इन संगठनों का कहना है कि राजशेखन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक रह चुके हैं।
प्रीज्म ने किया विरोध
आपको बता दें कि एक एनजीओ के रूप में स्थापित संगठन PRISM को 2017 में एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल गई। अब यह संगठन इसी आधार पर नये राज्यपाल राजशेखरन की नियुक्ति का विरोध कर रहा है। इनका कहना है कि राजशेखरन आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि PRISM के अध्यक्ष वनलालरुआता ने इस नियुक्ति की आलोचना की है और कहा है कि ‘हम एक क्रिश्चियन स्टेट हैं। वह आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता रह चुके हैं। इस साल के आखिर में मिजोरम में चुनाव होने हैं। हमें इस बात में कोई शक नहीं है कि भाजपा ने इसीलिए उनकी नियुक्ति की है। अगर वह वहां होंगे, तो भाजपा उनका इस्तेमाल करेगी।’
चर्च से की गई है अपील
गौरतलब है कि PRISM ने मिजोरम के सभी चर्च, पार्टियों और सामाजिक संगठनों को पत्र लिखकर नए राज्यपाल की नियुक्ति का विरोध करने के लिए आह्वाण किया है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि नए राज्यपाल की नियुक्ति का विरोध करें क्योंकि वे एक कट्टर हिन्दू नेता हैं। अपील करते हुए उन्होंने लोगों से कहा कि ऐसे कट्टर हिन्दू नेता को राज्य से बाहर करें। आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आने के बाद से लोगों को गुस्सा फूट गया है। सोशल मीडिय़ा पर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि सोशल मीडिया पर लोग PRISM के मिजोरम को एक क्रिश्चयन स्टेट कहना रास नहीं आया। लोगों ने जमकर इस बात की आलोचना की है।