पाकिस्तान में इस बार कश्मीर चुनावी एजेंडे से गायब है। ऐसा इसलिए कि वहां के लोग कश्मीर की आजादी की बात में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वहां के लोग अब इससे ऊब चुके हैं। वो चाहते हैं कि बात शांति, विकास और भाईचारे की हो। आपस में लड़ने से कोई लाभ होने वाला नहीं है। अब वहां के लोग कश्मीर के बदले पीएम मोदी की बात सुनना पसंद करते हैं। वो इस बात की उम्मीद करते हैं कि उनका पीएम मोदी जैसा काम कर दिखाएगा। उन्हीं की तरह दूसरे मुल्कों से लड़ने के बदले पाकिस्तान के विकास की बात करेगा। देश का नाम ऊंचा करेगा। जनका के इस मूड को भांपते हुए वहां के राजनीतिक दलों के एजेंडे से कश्मीर गायब है। पाक में पीएम मोदी की डिमांड का आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि पीएमएम-एन और ट्रिपल-पी बिलावल भुट्टो की पार्टी के अलावा मोदी से दूरी रखने वाले और पीएम पद के प्रबल दाबेदार इमरान खान भी उनकी चर्चा हर चुनावी रैली में करते नजर आए। उन्होंने भी मोदी की तरह पाक में कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का वादा मतदाताओं से किया है।
दरअसल, जब से नरेंद्र मोदी भारत के पीएम बने हैं उन्होंने पाक हुक्मरानों की कमजोरियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खोलकर रख दिया है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीयता की बात को मजबूती रखा है। देश हित के मुद्दे पर चीन को भी उन्होंने डोकला में अंगूठा दिखाने का साहस दिखाया। पहली बार भारत के किसी पीएम ने ड्रैगन से आंख में आंख डालकर बातें की। इसका सीधा असर यह हुआ है कि पाक के मतदाताओं की नजर में पीएम मोदी एक मजबूत नेता और विकास पुरुष का प्रतीक बन चुके हैं। वहां के लोगों को इस बात का अहसास है कि किसी भी देश का पीएम जनमत की ताकत के बल पर कैसे देश हित के एजेंडे को विश्वभर में लागू करा सकता है। पिछले चार सालों में पाक मीडिया के जरिए इस बात को वहां के लोग करीब से जान चुके हैं। इसलिए पाकिस्तान के मतदाता इस बार कश्मीर की बात सुनना पसंद नहीं किया। वो चाहते हैं कि हमारा नेता पाकिस्तान के विकास की बात करे और सबके साथ मिलकर चले।