क्या हुआ था अमित शाह की रैली में?
दरअसल सूरत में अमित शाह की रैली के दौरान पाटीदारों ने जमकर बवाल मचाया था। उस दौरान पाटीदार समाज के लोगों ने रैली में लगी कुर्सियां उठा कर फेंक दी थी और अमित शाह के विरोध में जमकर नारेबाजी की थी।
दरअसल सूरत में अमित शाह की रैली के दौरान पाटीदारों ने जमकर बवाल मचाया था। उस दौरान पाटीदार समाज के लोगों ने रैली में लगी कुर्सियां उठा कर फेंक दी थी और अमित शाह के विरोध में जमकर नारेबाजी की थी।
2015 में हुआ था पटेलों का आरक्षण आंदोलन
गौरतलब है कि गुजरात में राजनीतिक रूप से मजबूत पटेल समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आंदोलन किया था। उस दौरान हार्दिक और उनके साथियों की 25 अगस्त 2015 को थोड़े समय के लिए हुई गिरफ्तारी के बाद हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान पुलिस कार्रवाई में नौ लोगों की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि गुजरात में राजनीतिक रूप से मजबूत पटेल समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आंदोलन किया था। उस दौरान हार्दिक और उनके साथियों की 25 अगस्त 2015 को थोड़े समय के लिए हुई गिरफ्तारी के बाद हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान पुलिस कार्रवाई में नौ लोगों की मौत हो गई थी।
कई मुकदमों को वापस ले चुकी है सरकार
दरअसल गुजरात में पटेलों की आबादी करीब 15 प्रतिशत है। इसके साथ ही बीजेपी के 182 में से 44 विधायक भी इस समुदाय से हैं। ऐसे में बीजेपी पटेलों को अपना बड़ा वोट बैंक मानती है। आरक्षण की मांग को लेकर पटेल सरकार से नाराज चल रहे हैं। आंदोलन के दौरान 457 मामलों का दर्ज किया गया था लेकिन बाद में सरकार ने 50 से ज्यादा मुकदमों को वापस ले लिया था। इसका मकसद पटेल समुदाय को चुनाव के पहले खुश करना था। हालांकि जिन मुकदमों को वापस लिया गया था उसमें हार्दिक पटेल का नाम नहीं था जिस वजह से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। हार्दिक पर देशद्रोह समेत कई मामलों में मुकदमा दर्ज हो चुके हैं। कई मामलों में उन्हें जमानत भी मिली है।
दरअसल गुजरात में पटेलों की आबादी करीब 15 प्रतिशत है। इसके साथ ही बीजेपी के 182 में से 44 विधायक भी इस समुदाय से हैं। ऐसे में बीजेपी पटेलों को अपना बड़ा वोट बैंक मानती है। आरक्षण की मांग को लेकर पटेल सरकार से नाराज चल रहे हैं। आंदोलन के दौरान 457 मामलों का दर्ज किया गया था लेकिन बाद में सरकार ने 50 से ज्यादा मुकदमों को वापस ले लिया था। इसका मकसद पटेल समुदाय को चुनाव के पहले खुश करना था। हालांकि जिन मुकदमों को वापस लिया गया था उसमें हार्दिक पटेल का नाम नहीं था जिस वजह से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। हार्दिक पर देशद्रोह समेत कई मामलों में मुकदमा दर्ज हो चुके हैं। कई मामलों में उन्हें जमानत भी मिली है।