दरअसल, यह कारनामा ओबीसी आरक्षण के मामले पर देखने को मिला है। सोमवार को मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में ओबीसी आरक्षण की लिस्ट बनाए जाने के संबंध में एक बिल पेश किया। विपक्ष ने इस बिल को लेकर मोदी सरकार का पूरा समर्थन दिया और कहा कि यह एक जरूरी और सही फैसला है।
OBC reservation bill : क्या आप जानते हैं ओबीसी आरक्षण की शुरुआत किसने की?
अब इस बिल के पास होने से राज्यों को ओबीसी की लिस्ट बनाने के लिए अधिक अधिकार मिलेगा। इसका सीधा फायदा आम लोगों पर पड़ेगा और सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उन सभी लाभार्थियों तक पहुंच सकेगा जो सही मायने में इसके हकदार हैं। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने इस बिल को लेकर अपनी सहमति दी थी।
भले ही, सत्ता पक्ष और विपक्ष ओबीसी आरक्षण के इस बिल पर साथ-साथ आ गए हैं, पर ये समझना और जानना जरूरी है कि आखिर मोदी सरकार ने मानसून सत्र में ही इस बिल को क्यों लेकर आई है? और इसका असर राज्यों या आम नागरिकों पर क्या होगा?
OBC आरक्षण से जुड़े इस बिल में क्या है?
अब सबसे पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े इस बिल की खास बात क्या है? दरअसल, सोमवार (9 अगस्त) को मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण से जुड़ा एक बिल लोकसभा में पेश किया। यह 127वां संविधान संशोधन बिल है। इसे आर्टिकल 342A(3) के तहत लागू किया जाएगा।
इस बिल के पास होने के बाद राज्य सरकारों को ये अधिकार मिलेगा कि वे अपने हिसाब से ओबीसी समुदाय की लिस्ट तैयार कर सकेंगे। इस बिल के पास होने के बाद राज्यों को ओबीसी समुदाय की लिस्ट तैयार करने के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
राज्यों पर इस बिल कितना पड़ेगा असर?
अब दूसरा जो महत्वपूर्ण सवाल है वह यह है कि इस बिल के पारित होने के बाद राज्यों पर इसका कितना असर होगा। तो ऐसे में ये माना जा रहा है कि चूंकि राज्यों को अधिक अधिकार मिलेगा तो इससे उन राज्यों के लोगों को सबसे ज्यादा लाभ होगा, जो लगातार ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
OBC संगठनों की मांग : 27% आरक्षण मंडल कमीशन लागू हो, जातिगत आधार पर हो जनगणना
महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि कुछ राज्यों में कई जातियों के लोग लगातार ओबीसी में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अब राज्य सरकारें अपने हिसाब से उन जातियों को ओबीसी की लिस्ट में शामिल कर सकते हैं। मराठा, लिंगायात, जाट, पटेल आदि समुदाय के लोगों को इसका सीधा फायदा हो सकता है।
मोदी सरकार क्यों लाई इस तरह का बिल?
बता दें कि देशभर के कई राज्यों में ऐसी कुछ जातियां व समुदाय हैं जो ओबीसी के दायरे में शामिल किए जाने की मांग लगातार कर रही है। चूंकि अभी तक ओबीसी में शामिल करना या नहीं करना केंद्र सरकार के अधिकार में है और बीते पांच मई को मराठा आरक्षण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ओबीसी की सूची तैयार करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है।
पीएम मोदी की घोषणा, NEET में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण मिला
ऐसे में आरक्षण जैसे संवेनशील मामले पर मोदी सरकार कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है, क्योंकि अगले कुछ महीनों में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए, मोदी सरकार अब संविधान में संशोधन कर राज्यों को ये अधिकार दे रही है ताकि वे अपने-अपने हिसाब से ओबीसी की लिस्ट तैयार कर सकें।
उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों में पड़ेगा असर?
आपको बता दें कि 2022 के शुरूआती महीनों में ही उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद साल के आखिर और फिर अगले साल भी मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। लिहाजा, राजनीतिक विशलेष्कों का मानना है कि मोदी सरकार चुनावी रणनीति के तहत इस बिल को संसद के इस मानसून सत्र में लेकर आई है।
उत्तर प्रदेश में काफी बड़ी संख्या में ओबीसी समुदाय के लोग रहते हैं और काफी लंबे समय से कुछ जातियां शामिल किए जाने को लेकर इसकी मांग भी करती रही है। ऐसे में इसका बड़ा असर हो सकता है।