होशंगाबाद

मोटराइज्ड ट्रायसिकल लेने के लिए पांच घंटे इंतजार किया दिव्यांगों ने, देर से पहुंचे मंत्री

विधायक का पहले किया स्वागत, बाद में पहुंचे मंत्री, दोबारा पहनाई माला, पर 17 लोगों को ही मिल पाई ट्रायसिकल

होशंगाबादJul 04, 2019 / 05:57 pm

poonam soni

मोटराइज्ड ट्रायसिकल लेने के लिए पांच घंटे इंतजार किया दिव्यांगो ने, देर से पहुंचे मंत्री

होशंगाबाद। जिले के प्रभारी मंत्री पीसी शर्मा से मोटराइज्ड ट्रायसिकल लेने के लिए दिव्यांगो को पांच घंटे इंतजार करना पड़ा। कुछ दिव्यांग तो परेशान होकर लौट भी गए थे। इससे दिव्यांग और उनके परिजन भड़क गए। इंतजार करते-करते 23 में से छह दिव्यांग कलेक्टोरेट स्थित कार्यक्रम स्थल से लौट गए। बता दें कि कार्यक्रम में दिव्यांगों को सुबह 11 बजे का समय दिया गया था। लेकिन प्रभारी मंत्री शाम 4.05 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। वहीं विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा कार्यक्रम में समर्थकों के साथ आए और करीब एक घंटे मंत्री का इंतजार के बाद दिव्यांगो को माला पहनाकर लौट गए।
 

पांच घंटे लेट पहुंचे मंत्री
पांच घंटे के बाद शाम 4.05 बजे प्रभारी मंत्री शर्मा पहुंच गए। उन्होंने दोबारा उन हितग्राहियों को मालाएं पहनाई और ट्रायसिकल सौंपी। मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि यह नई तकनीक की ट्रायसिकल 37 हजार रुपए की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सभी वर्गों के हितों के लिए संकल्पित है।
 

चारों विधासभा में होगे ये काम
जिले में सबसे ज्यादा राशि का अनुमोदन सिवनी मालवा विधानसभा के लिए हुआ। यहां पर करीब 1.89 करोड़ रुपए के काम किए जाएंगे। इस राशि से विस के केसला पोढार, सुखतवा, पथरोटा, साधपुरा सहित अन्य जगहों पर आदिवासी छात्रावासों के लिए सीमेंट सड़क, बाउंड्रीवॉल, अतिरिक्त कक्ष तथा मंगल भवन, चबूतरा निर्माण होगा। पिपरिया विस में सड़क व नलकूप खनन के लिए करीब 26 लाख रुपए की राशि का अनुमोदन किया गया। होशंगाबाद विस में सीनियर आदिवासी कन्या छात्रावास तवा कॉलोनी के लिए 10 लाख रुपए और एक अन्य छात्रावास में नलकूप खनन के लिए 1.50 लाख रुपए स्वीकृत हुए। इसी तरह सोहागपुर विस में बालक छात्रावास से कन्या छात्रावास बाबई में सड़क के लिए 20 लाख रुपए व नलकूप के लिए 1.50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई।
 

एसडीएम की शिकायत को किया अनसुना
बैठक में होशंगाबाद विधायक डॉ. शर्मा और इटारसी एसडीएम हरेंद्र नारायण के बीच चल रहा विवाद का मुद्दा भी उठा। विधायक ने खुद इसकी प्रभारी मंत्री से शिकायत की, लेकिन उन्होंने अनसुना करते हुए दूसरे विषयों पर चर्चा शुरू कर दी। विधायक उनके बैठकों में नहीं आने के आरोप लगाते हुए हटाने की मांग करते रहे।
 
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