पहला सेशन 4-11 जून 2014
16वीं लोकसभा का पहला सत्र 4-11 के बीच चला। इस अवधि के दौरान सदस्यों को शपथ दिलाई गई और स्पीकर का चुनाव किया गया। भाजपा की सुमित्रा म हाजन 16वीं लोकसभा की स्पीकर चुनी गई। आवश्यक संख्या के अभाव में विपक्ष के नेता का पद खाली रहा। नियमानुसार कुल सीटों(543)की 10 प्रतिशत सीटें लाने पर ही विपक्ष का पद मिलता है। कांग्रेस को चुनावों में केवल 44 सीटें ही मिली। कांग्रेस को विपक्ष का पद न दिए जाने पर काफी हंगामा हुआ और इसे बदले के रूप में देखा गया। लोकसभा में अपने पहले दिन पीएम मोदी ने संसद की सीढियों को नतमस्तक होकर नमन किया। इस दौरान वे एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। लोकसभा में अपने पहले भाषण में उन्होंने कहाकि वे सबका साथ चाहते हैं जिसमें विपक्ष भी शामिल है।
दूसरा सेशन बजट सत्र: 7 जुलाई -14 अगस्त 2014
इस दौरान मोदी सरकार का पहला आम और रेल बजट पेश किया गया। साथ ही बीमा सुधार बिल, न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल जैसे बड़े बिल पास किए गए। इस सत्र में 12 बिल पास हुए। इस सत्र मेे पिछले एक दशक का सबसे ज्यादा काम हुआ। इस सत्र के दौरान पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की आतंकी हाफिज सईद से मिलने के चलते काफी हंगामा हुआ। इस मामले में पीएम मोदी खामोश रहे और सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरूण जेटली व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सरकार का पक्ष रखा। इसके अलावा यूपीएससी परीक्षा को लेकर भी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही। इस दौरान प्रधानमंत्री संसद में मौजूद रहे लेकिन उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया। इस सत्र के दौरान पीएम मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील गए हुए थे।
तीसरा सेशन विंटर सेशन: 24 नवंबर से 23 दिसंबर
पीएम मोदी और उनकी पार्टी को पहली बार संसद में विपक्ष के हमलों के चलते बैकफुट पर जाना पड़ा। भाजपा नेताओं के बयानों के चलते सरकार को हमले झेलने पड़े। केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के “रामजादे-हरामजादे” बयान, नाथूराम गोडसे, घर वापसी, कालेधन के मुद्दे पर सरकार को विपक्ष का गुस्सा झेलना पड़ा। साध्वी के बयान पर पीएम मोदी को चुप्पी तोड़नी पड़ी और उन्होंने मंत्री को माफ करने को कहा। इस सत्र के दौरान लोकसभा ने 11 बिल पास किए लेकिन राज्यसभा में बहुमत के अभाव के चलते सरकार इन्हें पास नहीं करा पाई। हालांकि सरकार ने इस दौरान संविधान संशोधन बिल और लोकपाल संसोधन बिल पेश कर दिया जिससे जीएसटी बिल की राहें खुल गई। 15वीं लोकसभा के अंतिम विंटर सेशन की तुलना में यह सेशन ज्यादा प्रोडक्टिव रहा।
चौथा सेशन बजट सत्र: 23 फरवरी से 13 मई
इस सत्र के दौरान भी हाल के सालों में रिकॉर्ड काम हुआ लेकिन सरकार अपने दो महत्वपूर्ण बिलों जीएसटी और भूमि अधिग्रहण को पास नहीं करा पाई। इस सत्र में 24 बिल पास किए गए, इनमें कंपनी बिल, कालाधान बिल, मांइस एंड मिनरल्स बिल प्रमुख थे। इस दौरान पहली बार पीएम मोदी ने संसद में अपने भाषण से विपक्ष विशेषकर कांग्रेेस पर निशाना साधा। उन्होंने खाद्य सुरक्षा, मनरेगा और भूमि अधिग्रहण बिल पर कांग्रेस को घेरा। उन्होंने राज्य सभा में भी अपना पहला भाषण दिया और आंकड़े पेश कर विपक्ष को जवाब दिया। इस सत्र के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी बदले हुए रूप में नजर आए। उन्होंने केन्द्र सरकार पर सूट-बूट सरकार का तंज कसा। कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार पर जमकर हमले बोले और इसे संयुक्त संसदीय कमिटी में भिजवाकर ही दम लिया। इस सत्र के दौरान बांग्लादेश के साथ जमीन बंटवारे का बिल भी पास हो गया जो कि एक ऎतिहासिक कदम है। इस बिल के पास होने पर पीएम मोदी खुद सोनिया गांधी के पास गए और उन्हें धन्यवाद कहा। वहीं जीएसटी बिल को भी विपक्ष के दबाव में सलेक्ट कमिटी में भेजना पड़ा।
पांचवां सेशन मानसून सत्र: 21 जुलाई से 13 अगस्त
यह सत्र 21 जुलाई से 13 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र के दौरान विपक्ष के पास ललितगेट और व्यापमं मुद्दे के रूप में सरकार को घेरने के अस्त्र मौजूद है। हालांकि भाजपा ने भी तैयारी कर रखी है और इसी के चलते उसने पहले अपने नेताओं और फिर एनडीए सांसदों की बैठक बुलाकर रणनीति बनाई है। सरकार ने सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे के बचाव की पूरी तैयारी की है। हालांकि इस सत्र के दौरान भूमि अधिग्रहण बिल पेश नहीं होगा। वहीं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल जैसे बिल लंबे समय से पेंडिंग चल रहे हैं, इन्हें पास किया जा सकता है।
यह सत्र 21 जुलाई से 13 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र के दौरान विपक्ष के पास ललितगेट और व्यापमं मुद्दे के रूप में सरकार को घेरने के अस्त्र मौजूद है। हालांकि भाजपा ने भी तैयारी कर रखी है और इसी के चलते उसने पहले अपने नेताओं और फिर एनडीए सांसदों की बैठक बुलाकर रणनीति बनाई है। सरकार ने सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे के बचाव की पूरी तैयारी की है। हालांकि इस सत्र के दौरान भूमि अधिग्रहण बिल पेश नहीं होगा। वहीं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल जैसे बिल लंबे समय से पेंडिंग चल रहे हैं, इन्हें पास किया जा सकता है।