देशभर में कठुआ में हुए सामूहिक दुष्कर्म को लेकर गुस्सा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं इस सरकार और उस सरकार के कार्यकाल में ऐसी घटनाओं की गिनती में कभी शामिल नहीं हुआ। बलात्कार, बलात्कार होता है।’
3. कर्नाटक चुनाव
प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन में रहते हुए भी कर्नाटक चुनाव के लिए मास्टर स्ट्रोक खेल दिया और लंदन से लिंगायत कार्ड खेलते हुए संत बसवेश्वर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। आपको बता दें कि कर्नाटक में थोड़े दिन में चुनाव होने हैं और 17 फीसदी जनसंख्या वाला लिंगायत समुदाय वहां निर्णायक माना जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आलोचना से ही लोकतंत्र पनपता है और सरकारें सतर्क रहती हैं। मैं मानता हूं कि मोदी सरकार की भरपूर आलोचना होनी चाहिए। अगर कोई आलोचना करता है तो मैं इसे सौभाग्य मानता हूं। लोग हमसे ज्यादा अपेक्षा कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी सरकार ऐसा कर सकती है। लोग जानते हैं कि जब वह कुछ कहते हैं तो सरकार उसे सुनती है और करती भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम देश में डेढ़ लाख से ज्यादा वेलनेस सेंटर बनाना चाहते हैं। योग को बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि सेहतमंद जिंदगी को बल मिले। हमने मातृत्व अवकाश की अवधि 26 हफ्ते की है। करीब 50 लाख लोगों को सरकार पांच लाख रुपए तक का बीमा देगी। टियर-टू और टियर-थ्री शहरों में अच्छे प्राइवेट अस्पतालों का नेटवर्क खड़ा होगा।
मोदी ने पिछली सरकारों से तुलना करते हुए कहा, ‘तब और अब में जमीन-आसमान का अंतर है। जब नीति स्पष्ट हो, नीयत साफ हो और इरादे नेक हों तो उसी व्यवस्था से अपेक्षित परिणाम मिल सकते हैं। मैं गलतियां कर सकता हूं, लेकिन इरादे कभी गलत नहीं होंगे।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर उम्र में, हर वक्त कुछ नया पाने की कोशिश जीवन को गति देती है। इसलिए जीवन में बेसब्री जरूरी है। 8. लोकतंत्र पर
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतांत्रिक व्यवस्था की तारीफ की और कहा, ‘लोकतंत्र के देवताओं की नजर में सभी बराबर हैं, अगर वे चाहें तो एक चाय वाले को भी अपना प्रतिनिधि बना देते हैं। यही वजह है कि रेलवे स्टेशन पर रहने वाला आज लंदन के रॉयल पैलेस में हाथ मिलाने के काबिल हुआ।’
उन्होंने कहा, ’18 हजार गांवों में बिजली नहीं थी। कई महिलाओं की शौचालय तक पहुंच नहीं है। मेरे देश की ये वास्तविकता मुझे सोने नहीं देती है। मैं भारत के गरीबों की जिंदगी में बदलाव के लिए प्रतिबद्ध हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘महात्मा गांधी ने पूरे देश को आजादी की लड़ाई के लिए जोड़ा था। आजादी के बाद सरकार और जनता के बीच दूरियां बढ़ गई। विकास को जन आंदोलन में तब्दील होना चाहिए। मैं जनता को साथ लेकर काम करने पर विचार कर रहा हूं।’