कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि पीएम मोदी के इस संबोधन से वैज्ञानिक समुदाय के लोगों में भ्रम फैल सकता है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह भारत के वैज्ञानिकों, दवा उद्योग, चिकित्सकों, नर्सों, कोरोना योद्धओं का अपमान है। सच्चाई यह है कि भारत पहले से ही टीकों के उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। हमारे यहां कहावत है कि नीम-हकीम खतरा-ए-जान।”
कांग्रेस प्रवक्ता वल्लभ ने आगे कहा, “1960 के दशक में ही तपेदिक (टीबी) के नियंत्रण का कार्यक्रम देशभर में शुरू किया गया था। वहीं, 1985 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक साथ छह बीमारियों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की, लेकिन राजीव गांधी या किसी अन्य नेता ने कहीं भी अपना फोटो लगाकर विज्ञापन नहीं किया। वर्ष 2011 में देश मे टीकाकरण नीति बनाई गई।”
गौरव वल्लभ ने बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीकाकरण पर इस तरह से देश में गलत जानकारी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बना जहां टीकों की 100 करोड़ खुराक दी गई हैं, हालांकि 16 सितंबर, 2021 तक चीन में 200 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि देश की 50 फीसदी आबादी को अब तक कोरोना का एक भी टीका नहीं लगा। इतना ही नहीं केंद्र सरकार की इस तरह की अक्षमता के चलते लाखों लोगों की जान चली गई, तो फिर किस बात का जश्न मनाया जा रहा है?
गौरव वल्लभ ने कहा, “जब पूरी दुनिया वर्ष 2021 के मई-जून-जुलाई-सितंबर के माह में अपनी आबादी का टीकाकरण करा रही थी तो हमारे देश में थाली-ताली बजाई जा रही थी… हम वैक्सीन को विदेश भेज रहे थे। यही वजह है कि देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आई। इसकी वजह से देश में हजारों लोग मारे गए। केंद्र की मोदी सरकार को देश की जनता से आज उन परिवारों से माफी मांगनी चाहिए जिन परिवारों ने इस लहर के दौरान अपने मां, बाप, बहन, भाई को खो दिया। श्मशान में जगह न होने की वजह से गंगा में लाशों को प्रवाहित करने की नौबत आ गई। आज वो कैसे जश्न मना सकते हैं? आज तो उन सभी से माफी मांगने का दिन है।”