पेशे से डॉक्टर हर्षवद्र्धन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह देश के वैज्ञानिकों के समक्ष एक चुनौती है। उन्हें अगले साल के पहले ऐसी तकनीकि विकसित करने की चुनौती है जिससे पटाखे भी चलें और वातावरण भी प्रदूषित न हो। उन्होंने कहा कि कुछ प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक में उन्होंने ऐसी संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने वैज्ञानिकों के सामने एक चुनौती दी है कि वे अगले वर्ष की दीपावली के पहले जीरो पोल्यूशन वाले पटाखे विकसित करें।
पटाखों पर बैन हुआ विवादित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत ९ अक्टूबर को ३१ अक्टूबर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले पर समाज में काफी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले पर काफी कड़ी टिप्पणियां रखी जा रही हैं।
पटाखों के व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की थी। व्यापारियों ने कहा कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से उनकी भारी पूंजी खतरे में पड़ जाएगी और उन्हें भारी नुक्सान होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रखा है।
पटाखों के व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की थी। व्यापारियों ने कहा कि पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से उनकी भारी पूंजी खतरे में पड़ जाएगी और उन्हें भारी नुक्सान होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध जारी रखा है।
दरअसल पटाखों की वजह से दिल्ली में दिवाली की रात प्रदूषण स्तर अत्यंत उच्च स्तर पर पहुंच जाता है। लोगों को सांस लेने में भी भारी तकलीफ होने लगती है। सांस, फेफड़े और दिल के रोगियों को इससे बहुत परेशानी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। हलांकि यह प्रतिबंध १ नवंबर से लागू नहीं रहेगा।