अगले कुछ दिनों में वह भी इस मसले पर मोदी सरकार पर निशाना साध सकते हैं। माकपा, सपा और बसपा ने भी राज्यों में धरने आंदोलन तेज कर दिए है। वहीं सह
योगी दलों ने भी इस मसले पर खुद को मोदी सरकार से अलग कर लिया है। जदयू और शिवसेना ने पेट्रोल-डीजल दाम के लिए मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
आरएसएस भी मोदी सरकार के आर्थिक फैसलों से नाराज माना जाता है। भारतीय मजदूर संगठन और स्वदेशी जागरण मंच मुखर होकर सरकार के नीतियों का विरोध कर रहे है। 54 फीसदी लोग मानते हैं जीएसटी से बढ़ी महंगाई कांग्रेस उपभोक्ता विभाग और कंज्यूमर पोर्टल के सर्वे को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साध रही है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग से मिलकर कंज्यूमरों की समस्या से संबंधित प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल के डाटा के मुताबिक 54 फीसदी लोगों ने माना है कि जीएसटी लागू होने के बाद उनका महीने का बजट बढ़ गया है। छह फीसदी लोगों ने कहा है कि उनका महीने का बजट कम हुआ है, वहीं 20 फीसदी लोग कह रहे है कि उनके महीने के खर्च पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। सर्वे में 40 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था।
कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि सरकार कह रही थी कि जीएसटी से सरकार की आमदनी ही नहीं बढ़ेगी बल्कि देशभर में कई तरह के टैक्स की जगह एक टैक्स लगने से महंगाई भी घटेगी। मगर इस सर्वे ने सरकार के दावे की पोल खोल दी है। 2019 में भ्रष्टाचार नहीं महंगाई होगा मुद्दा कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि इस सरकार ने जैसे तैसे करके भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो अपना कंट्रोल कर लिया है। मगर महंगाई पर उसका काबू नहीं हो पा रहा है।
लिहाजा, पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि 2019 में महंगाई अपने चरम पर होगी और अगला लोकसभा चुनाव महंगाई के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। संघ से जुड़े संगठन भी मुखर हो रहे हैं। भारतीय मजदूर संघ ने नवंबर में सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़ी रैली का एलान किया है। स्वदेशी जागरण मंच ने जीएसटी को लघु उद्योगों और ग्राहकों के लिए नुकसानदेह बताया है।