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प्रक्रिया भी बहुत अधिक समस्याजनक होगी
उन्होंने कहा कि इसकी प्रमाणन प्रक्रिया भी बहुत अधिक समस्याजनक होगी। उन्होंने कहा कि यह आरक्षण बहुत पेचीदा होगा क्योंकि इसके दायरे में आने वाले लोगों का सटीक पता लगाना मुश्किल होगा। जैसे मान लें कि एक शख्स के पास रोजगार है और वह इस आठ लाख वार्षिक आय के दायरे में आता है लेकिन उसे दूसरी जॉब मिल जाती है, जो इस दायरे से बाहर है तो ऐसे में प्रशासन को कैसे पता चलेगा। उन्होंने कहा कि क्या हम इसे मॉनीटर कर पाएंगे?
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लोकसभा चुनाव में तुरुप का पत्ता साबित होगा
उन्होंने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.एम.अहमदी का उल्लेख किया, राय ने कहा कि मैं वकील नहीं हूं लेकिन मैं जस्टिस अहमदी (जो 1992 की पीठ का हिस्सा थे, जिन्होंने जातिवाद आरक्षण की सीमा तय की थी) ने कहा था कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है। कानूनी जानकार एवं विशेषज्ञ भी इसके विरुद्ध हैं इसलिए मैं आश्वस्त नहीं हूं कि यह न्यायिक पैमाने पर खरा उतरेगा। राय ने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा हारने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सोचते हों कि सामान्य वर्ग के पिछड़ों को आरक्षण का उनका यह फैसला उनके लिए आगामी लोकसभा चुनाव में तुरुप का पत्ता साबित होगा।