सिटिजनशिप एमेंडमेंट बिल 2019 को राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार रात में उस वक्त मंजूरी दी है, जब इसे लेकर देशभर में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। पूर्वोत्तर में इसका काफी विरोध हो रहा है। असम के गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो चुकी है और हिंसा-आगजनी की घटनाओं के बीच कई स्थानों पर लगे कर्फ्यू के साथ ही सेना फ्लैग मार्च कर रही है। यहां पर विमान-रेल सेवा प्रभावित हुई हैं और यहां के कई जिलों समेत मेघालय में भी अगले 48 घंटों के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई है।
BREAKING: देश में इतने राज्यों के मुख्यमंत्रियों का ऐलान- नागरिकता संशोधन बिल नहीं लागू करेंगे.. जबकि बृहस्पतिवार को पंजाब और केरल के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व पिनारायी विजयन ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसका विरोध कर रही थीं और राज्य में इसे और एनआरसी को लागू करने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया, जिस पर करीब छह घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए। बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को अहम बताते हुए बधाई दी।
BIG NEWS: अभी खत्म नहीं हुआ है भाजपा का मिशन, मोदी सरकार के अगले मिशन का खुलासा! शुरू हो गई पीएम मोदी ने इस बिल के पास होने पर ट्विटर पर दिए अपने बधाई संदेश में लिखा, “आज का दिन भारतीय मूल्य, करुणा और भाईचारे के लिए अहम दिन है। मुझे प्रसन्नता है कि नागरिकता विधेयक 2019 राज्यसभा से पास हो गया है। जिन सांसदों ने विधेयक के पक्ष में वोट डाला है, उन्हें मेरा आभार। जिन लोगों ने सालों तक अत्याचार सहे हैं उन्हें यह बिल राहत देगा।”
बता दें कि विपक्ष इस विधेयक का लगातार विरोध कर रहा है और संविधान विरोधी बता रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा में बिल पास होने पर काला दिन कहा था। जबकि पास होने से पहले विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का प्रस्ताव बुधवार रात खारिज हो गया। समिति के पास इसे नहीं भेजने के पक्ष में 124 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े। शिवसेना ने सदन से वॉकआउट किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह विधेयक लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होतीं तो ये बिल न लाना होता।
BREAKING: नागरिकता बिल के विरोध में असम में भारी हिंसा के बीच इतने लोगों की मौत, मचा हड़कंप राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, “आज जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे।”
अमित शाह ने कहा, “इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी, लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि मुसलमानों को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं। आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है। इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं, जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं।”