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आज़ादी पर सियासत ..!

locationजयपुरPublished: Aug 09, 2017 11:40:56 pm

भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं सालगिरह पर संसद का विशेष सत्र : सोनिया गांधी ने सरकार की तुलना ब्रिटिश राज से कर दी, वहीं मोदी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा

विशाल ‘सूर्यकांत’

मौक़ा था भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह का…लेकिन संसद के विशेष सत्र में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तल्खी साफ़ नज़र आई। कांग्रेस की ओर से पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में भाजपा, संघ और उसके अनुशांगिक संगठनों का नाम लिए बग़ैर प्रहार किया। अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल करने के बाद संसद में मुखातिब सोनिया गांधी ने सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला। सोनिया ने कहा कि देश में दोबारा अंधकार की शक्तियां तेजी से उभर रही है। कानून के राज पर ग़ैरकानूनी शक्तियां हावी हो रही हैं। आजादी आंदोलन में भाजपा-संघ के योगदान पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि उस वक्त भी कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंनें इसका विरोध किया था।
इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा। 75 वीं सालगिरह पर देशवासियों के मन में कई आशंकाएं थी, क्या जहां आजादी का माहौल था वहां भय नहीं फैल रहा ? देश में नफरत की राजनीति के बादल हर तरफ छाए हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदू शेखर ने कहा कि उस समय कुछ विश्वासघात और मीर जाफ़र थे। जिन्होंनें आजादी आंदोलन में अपना योगदान नहीं दिया। अंग्रेजों के निर्देश पर अगस्त क्रांति आंदोलन को बर्बाद किया।
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के भ्रष्टाचार,गरीबी खत्म कर वंचित तबको के लिए मिलकर काम करने को कहा। हम आपको बता रहे हैं क्यों मोदी और सोनिया गांधी ने इस मंच का इस्तेमाल अपनी बात रखने के लिए इस्तेमाल किया। संसद के विशेष सत्र में मुद्दा आजादी के वक्त के आंदोलनों की बात से शुरु हुआ और गुजरात राज्यसभा से उपजी तल्खी पर जा टिका। आईए,आपको दिखाते हैं कि क्यों संसद के विशेष सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भाषण के क्या मायने है?
संसद के विशेष सत्र में सोनिया ने क्यों चलाए सियासी तीर…

क्योंकि… कांग्रेस राज्यसभा चुनाव जीतने के बाद आक्रामक रहना चाहती है

सोनिया गांधी का भाषण कांग्रेस के लिए पॉलिटिकल टॉनिक

कांग्रेस चाहती है कि अराजकता पर मोदी सरकार को घेरा जाए
देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू की भूमिका कमतर करना मंजूर नहीं

कांग्रेस के सामने विपक्ष की अगुवाई करने की कसौटी

अपनी पार्टी में असंतोष और शिथिलता को खत्म करने आक्रामकता जरूरी

कांग्रेसी की अगुवाई में आजादी मिली,नई पीढ़ी के सामने इसे रेखांकित करने का मौक़ा
संसद में तीखे बयान देकर विपक्षी एकता की टोह ली

सरकार को घेरने में तृणमूल जैसी पार्टियों का साथ मिला

संसद के विशेष सत्र में मोदी ने क्यों उठाए मुद्दे…

क्योंकि… विपक्ष की एकता के खिलाफ़ भ्रष्टाचार का मुद्दा क़ारगर
भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर जनभावनाओं की संन्तुष्टि

वैश्विक लीडर की छवि कायम रखने की जुगत

अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को मजबूती का मैसेज देना था

आजादी आंदोलन इतिहास में अपनी विचारधारा के नेताओं को रेखांकित करना
स्वयं और पार्टी का चेहरा राष्ट्रवादी बनाए रखना

आजादी आंदोलन को अपनी व्याख्या देने का बेहतरीन मौक़ा

देश की आजादी के वक्त के घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस, आरएसएस और भाजपा पर ये आरोप लगाती रही है कि उन्होंनें कभी आजादी आंदोलन में भाग नहीं लिया। सोनिया गांधी ने देश की मौजूदा हालात की तुलना अंग्रेजी हुकुमत से कर दी। सोनिया ने आरएसएस पर निशाना साधा और कहा कि हमें सभी आंदोलनकारियों को सम्मान के साथ याद करना चाहिए। सोनिया ने इस दौरान आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों और संगठनों ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध भी किया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जब हम ये सालगिरह मना रह हैं, तो कई सवाल भी पैदा हो रहे हैं क्या अब देश अंधकार में नहीं जा रहा है।
आजादी के माहौल में दोबारा भय फैल रहा है, जनतंत्र को नष्ट करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि ये आंदोलन हमें इस बात की याद दिलाता है कि संकीर्ण मानसिकता वाले, विभाजनकारी सोच वालों का कैदी बनने नहीं दे सकते हैं। महात्मा गांधी ने एक न्याय संगत भारत के लिए लड़ाई लड़ी थी. लेकिन इस पर नफरत और विभाजन की राजनीति के बादल छा गए है। उधर, प्रधानमंत्री मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के अलावा कई स्वाधीनता सैनानियों का नाम लिया और नेहरू का नाम न लिए जाने पर भी सियासत गरमा रही है। मोदी ने कहा कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है। राजनीति से बड़ी राष्ट्रनीति होती है।
भ्रष्टाचार के दीमक ने देश को तबाह कर दिया है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमारे सामने ग़रीबी,कुपोषण,शिक्षा बडी चुनौती है। मोदी के भाषण में गांधी का कई बार महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस का जिक्र किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने नेहरू का नाम स्वाधीनता आंदोलन में नही लिए जाने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। दोनों नेताओं के संसद में उद्बोधन के बाद सोशयल मीडिया पर भी इसी मुद्दे पर बहस चली….
क्या भारत छोड़ो आंदोलन में विश्वासघात हुआ था ?

क्या देश को आज़ादी कांग्रेस के नेताओं ने दिलाई ?

आजादी आंदोलन में क्या आरएसएस संगठनों की भूमिका नहीं है ?

क्या भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह पर मौजूदा राजनीति हावी है ?
क्या आज़ादी आंदोलन में महापुरुषों की भूमिका को नकारा जा रहा है ?

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