राजनीति

क्या 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे व्लादिमीर पुतिन, जानिए इस खबर में?

जुलाई में होने जा रहे संविधान संशोधन के लिए होने वाले जनमत संग्रह में अगर पुतिन को बहुमत मिलता है तो ये पुख्ता हो जाएगा कि देश को अब भी पुतिन पर भरोसा है। इस संविधान संशोधन के बाद पुतिन दो बार और राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ सकेंगे।

Jun 25, 2020 / 07:52 pm

Mohmad Imran

क्या 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे व्लादिमीर पुतिन, जानिए इस खबर में?

कोरोना महामारी (corona pandemic) के बीच रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन (russian president vladimir putin) ने विजय परेड का आयोजन कर अपनी संप्रभुता का प्रदर्शन किया है। पुतिन का कहना है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में वे पांचवी बार खड़े होने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि इस समय उनके उत्तराधिकारी की तलाश और देश की बागडोर नए हाथों में सौंपना बहुत से राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकता है। गोरतलब है कि 1 जुलाई को रूसी संविधान के सबसे बड़े संशोधन को करने या न करने पर जनमत संग्रह करवाया जाएगा। मतदान में उन्हें जनमत मिलने की पूरी संभावना है। इसकी आवयश्यकता इसलिए भी पड़ रही है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े कानून को लगभग 30 साल पहले अपनाया गया था। रूसी संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि इन संशोधनों में से एक परिवर्तन यह हो सकता है कि कानून में बदलावकर 67 वर्षीय राष्ट्रपति पुतिन अपने कार्यकाल सीमा को पुन: निर्धारित कर सकते हैं। भले ही वह पहले से ही चार सेवाकाल पूरे कर चुके हों। कानून में संशोधन कर वे कम से कम दो बार खुद के लिए 6 साल के कार्यकाल को पुन: हासिल कर सकते हैं क्योंकि उनका वर्तमान कार्यकाल 2024 में समाप्त हो रहा है।गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति के रूप में पुतिन वर्ष 2000 के बाद से ही सत्ता पर काबिज हैं। जोसेफ स्टालिन के बाद वे दूसरे सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाले क्रेमलिन राजनेता हैं।
रूसी राष्ट्रपति के एक शीर्ष सहयोगी, वरिष्ठ विधायक आंद्रेई क्लिशस का कहना है कि रूसियों को यह सोचना बंद करना चाहिए कि पुतिन के पद छोडऩे के बाद कौन शासन करेगा। क्लिशस ने एक साक्षात्कार में कहा कि लोगों को इस बात पर भरोसा करना चाहिए कि संविधान में संशोधन के बाद भी सब कुछ वैसा ही रहेगा। यह संशोधन हमें उत्तराधिकारियों, सत्ता के हस्तांतरण और इस तरह के अन्य मुद्दों को राजनीतिक उथल-पुथल से अलग रखने में मदद करते हैं। इन सबके बीच पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संविधान संशोधन को लेकर की गई राष्ट्रपति की टिप्पणी से इनकार कर दिया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि संभावित उत्तराधिकारियों पर अटकलें हमारी राष्ट्रीय नौकरशाही की एक विशेषता है। फिलहाल पुतिन का मुख्य लक्ष्य अपने वर्तमान जनादेश के अंतिम वर्षों में ‘पिटा हुआ मोहरा’ बनने से बचना है। लेकिन इस बात में अब भी संदेह है कि पुतिन खुद फिर से चुनाव में खड़ा होना पसंद करेंगे। रूस जिसने यूक्रेन से 2014 में क्रीमिया को वापस ले लिया था, 1954 तक रूसी प्रायद्वीप पर नियंत्रण बहाल कर रहा था।
क्या 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे व्लादिमीर पुतिन, जानिए इस खबर में?
पुतिन को चुनौती देना आसान क्यों नहीं
दरअसल बीते दो दशकों से पुतिन रूसी राजनीति के आकाश पर छाए रहे हैं। रूस का मतलब पुतिन और पुतिन का मतलब रूस है। बीते कई सालों से चुनावों में लगातार पुतिन पर भरोसा जता रहे रूसी नागरिकों का भी यही मानना है कि दुनिया की किसी भी सुपरपॉवर (super power) में फिलहाल पुतिन को चुनौती देने का साहस नहीं है। यही वजह है कि लोग पुतिन को किसी भी कीमत पर सत्ता में देखना चाहते हैं। मौजूदा कार्यकाल के 2024 में खत्म होने के बाद भी उन्होंने फिर से चुनाव में भाग लेने की संभावना को नकारा नहीं है। अगर वे और दो बार चुनाव लड़ते हैं तो साल 2036 तक देश के राष्ट्रपति बने रह सकेंगे। हाल ही मास्को में आयोजित 75वीं विक्टरी परेड के एक दिन बाद देश में जनमत संग्रह (public opinion) कराया जाना तय किया गया है। गौरतलब है कि रूस हर साल दूसरे विश्व युद्ध में मारे गए नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की वर्षगांठ मनाता है।
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यूं ही नहीं करवा रहे जनमत संग्रह
जनवरी में पुतिन ने संविधान में अहम बदलाव करने का प्रस्ताव दिया था। उनके इसी प्रस्ताव पर देशभर में मतदान किया जाना है। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सबकुछ पुतिन के हिसाब से हुआ तो सत्ता की शक्ति राष्ट्रपति की जगह संसद के पास ज्यादा होगी और वो छह साल के दो और कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ सकेंगे। यह जनमत संग्रह और संभावित संविधान संशोधन दरअसल पुतिन की महत्त्वकांक्षा और विश्व के शीर्ष लीडर (world leader) के रूप में खुद को स्थपित करने की एक सोची-समझी योजना की पैदाइश है। वर्ष 2000 के बाद विश्व पटल पर जिस दमखम के साथ पुतिन ने कदम रखा है वह करिज्मा आज भी बरकरार है। अगर बीते दो दशकों की वैश्विक राजनीति पर एक नजर डालें तो व्लादिमिर पुतिन निस्संदेह एक बड़ा नाम बनकर उभरे हैं। 1999 में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होने के बाद 2000 से 2008 तक वे राष्ट्रपति के पद पर चुने गए। इसके बाद 2012 से अब तक राष्ट्रपति के तौर पर वे रूस का आइना बने हुए हैं। पुतिन ने 2024 में चुनाव लडऩे पर अभी भले इही कुछ न कहा हो लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने अब तक इसकी पुष्टि भी नहीं की है। रूसी नागरिकों का समर्थन भी पुतिन को हासिल है जो साल 2018 में हुए चुनावों में पुतिन को मिले 76 फीसदी से अधिक वोटों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है।

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