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11 साल में हुआ भारत और फ्रांस के बीच हुआ रफाल डील, जानिए 10 अहम बातें

Published: Nov 14, 2018 01:13:31 pm

Submitted by:

Dhirendra

भारत और फ्रांस के बीच रफाल सौदा 11 साल तक चली बातचीत के बाद संभव हुआ। अब रफाल डील में अनियमितताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब दो घंटे से बहस जारी है।

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11 साल में हुआ भारत और फ्रांस के बीच हुआ रफाल डील, जानिए 10 अहम बातें

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में रफाल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। इस सौदें में अनियमितता को देखते हुए आज बहस जारी है। इस लड़ाकू विमान की खरीद के लिए मई, 2015 से अप्रैल 2016 के बीच भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) की 74 बैठक हुईं। आईएनटी का गठन 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए नियम व शर्तों पर बातचीत के लिए किया गया था। आईएनटी की अध्यक्षता वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) कर रहे थे। फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व वहां के महानिदेशक आयुध (डीजीए) कर रहे थे। बातचीत के आधार पर यह सौदा फाइनल हुआ था। इस सौदे की प्रक्रिया यूपीए वन के समय यानि 2007 में ही शुरू हुई थी। 11 वर्षों तक चली बातचीत के बाद यह सौदा तय हुआ। जानिए इस सौदे की प्रमुख बातें:
रफाल सौदा: 10 अहम बातें
1. केन्द्र ने सोमवार को रफाल विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की रक्षा खरीद प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया और बेहतर शर्तों पर बातचीत की गई थी। इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की। 14 पृष्ठों के हलफनामे में कहा है कि रफाल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है।
2. हलफनामे का शीर्षक 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण’ है। दस्तावेज में कहा गया है कि रफाल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है।
3. मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने 24 अगस्त, 2016 को उस समझौते को मंजूरी दी जिस पर भारत और फ्रांस के वार्ताकारों के बीच हुई बातचीत के बाद सहमति बनी थी। 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार थी। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि इसके लिये भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया था। एक साल तक फ्रांस के दल के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकारी, मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति, की मंजूरी भी ली गयी. 23 सितंबर 2016 को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
4. इस सौदे को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपए में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी तो उसने इसे 526 करोड़ रुपए में अंतिम रूप दिया था।
5. रफाल दस्तावेज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दोहराए गए आरोपों का भी जिक्र किया गया है कि पीएम मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसाल्ट एविएशन को मजबूर किया ताकि उसे 30,000 करोड़ रुपए दिए जा सकें। इसमें कहा गया है कि रक्षा ऑफसेट दिशानिर्देशों के अनुसार कंपनी ऑफसेट दायित्वों को लागू करने के लिए अपने भारतीय ऑफसेट सहयोगियों का चयन करने के लिए स्वतंत्र है।
6. रफाल दस्तावेज में कहा गया है कि क्यों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस सौदे में ऑफसेट पार्टनर बनने में नाकाम रही क्योंकि दस्‍सू के साथ उसके कई अनसुलझे मुद्दे थे। कांग्रेस का आरोप है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई।
7. कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया को बताया कि एक तरह से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से विचार-विमर्श नहीं किया गया है। क्या अनुबंध देने के बाद विचार-विमर्श करेंगे या पहले करेंगे। राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस बात को दोहराया है।
8. अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार रफाल मामले पर लोगों को गुमराह कर रही है। इस सौदे की जांच के लिये अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और फिर अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिकाएं दायर कीं।
9. आम आदमी पार्टी के राज्‍यसभा सांसद संजय सिंह ने भी अलग से एक याचिका दायर की है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक संयुक्त याचिका दायर की है।
10. बुधवार सुबह साढ़े दस बजे आज राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दस्‍सू के लिए सीईओ ने कहा है कि अंबानी को उन्होंने खुद चुना है इसमें किसी का कोई रोल नहीं है।

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