अधिकारियों के तबादले पर रोक की मांग
तीनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में रफाल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट से यह भी मांग की है कि मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों का तबादला न किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो इससे जांच पर असर पड़ेगा। सरकार इस मामले में दखल देकर जांच की दिशा बदल सकती है। प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि मोदी सरकार ने सीबीआई प्रमुख को उनके पद से स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होने की वजह से उठाया है। साथ ही सीबीआई प्रमुख वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ केस को आगे बढ़ाने फैसला लिया था। इतना ही नहीं सीबीआई प्रमुख रफाल सौदे की जांच शुरू करना चाहते थे। प्रशांत भूषण ने सरकार कहा है कि सरकार के इस फैसले को वह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गैर कानूनी है।
तीनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में रफाल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट से यह भी मांग की है कि मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों का तबादला न किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो इससे जांच पर असर पड़ेगा। सरकार इस मामले में दखल देकर जांच की दिशा बदल सकती है। प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि मोदी सरकार ने सीबीआई प्रमुख को उनके पद से स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होने की वजह से उठाया है। साथ ही सीबीआई प्रमुख वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ केस को आगे बढ़ाने फैसला लिया था। इतना ही नहीं सीबीआई प्रमुख रफाल सौदे की जांच शुरू करना चाहते थे। प्रशांत भूषण ने सरकार कहा है कि सरकार के इस फैसले को वह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गैर कानूनी है।
हमारी शिकायत पर नहीं हुई FIR दर्ज
आपको बता दें कि प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने चार अक्टूबर को तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से मुलाकात की थी और राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़ी ऑफसेट निविदा में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की थी। अब आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद बदली हुई परिस्थिति में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया गया है कि उनकी शिकायत पर FIR नहीं हुई, क्योंकि सीबीआई पर काफी दबाव था, जिस वजह से एजेंसी अपने दायित्व का निर्वहन निष्पक्षता से नहीं कर पाई।
आपको बता दें कि प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने चार अक्टूबर को तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से मुलाकात की थी और राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़ी ऑफसेट निविदा में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की थी। अब आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद बदली हुई परिस्थिति में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया गया है कि उनकी शिकायत पर FIR नहीं हुई, क्योंकि सीबीआई पर काफी दबाव था, जिस वजह से एजेंसी अपने दायित्व का निर्वहन निष्पक्षता से नहीं कर पाई।