विपक्ष ने कोर्ट के फैसले पर सरकार को घेरा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से रफाल मामले में फैसला सुनाने के एक दिन बाद, लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे ने कहा कि वह अटॉर्नी जनरल और नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (कैग) को तलब करने का दबाव बनाएंगे। उन्होंने कहा कि उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रपट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने कोर्ट के समक्ष सही तथ्य पेश नहीं किए और अदालत में ‘झूठ’ बोला है।
केंद्र ने कहा- फैसले में तुरंत सुधार की जरुरत
विपक्ष और रफाल मामले में याचिकाकर्ता लगाकार कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे थे। रक्षा मंत्रालय में उप सचिव सुशील कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से याचिका दायर करके फैसले के पैरा 25 की उन दो पंक्तियों में ‘तथ्यात्मक सुधार’ की मांग की है, जिसमें कैग रिपोर्ट और पीएसी का संदर्भ आया है। याचिका में कहा गया है कि कैग रिपोर्ट और पीएसी से जुड़े सीलबंद दस्तावेज को लेकर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है और उसमें तत्काल सुधार की जरूरत है।
सरकार बोली- हमने कहा कुछ और, आप समझें कुछ और
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्योरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया। अब केंद्र सरकार ने याचिका में कहा है कि उसने सीलबंद लिफाफे में जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया था, उनमें कैग रिपोर्ट और पीएसी से संबंधित जानकारी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के स्थान पर फैसले में अलग शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, जिससे उसका अर्थ ही बदल गया है। केंद्र सरकार ने संबंधित फैसले की इस गड़बड़ी को जल्द दूर करने की अपील की है।
कांग्रेस ने कहा- सरकार ने कोर्ट ने झूठ बोला
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि शुक्रवार का फैसला ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ था, जिसके लिए मोदी नीत केंद्र सरकार जिम्मेदार है। सिब्बल ने कहा कि फैसले में तथात्मक गलती है, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है, न कि अदालत। अगर आप अदालत को गलत तथ्य देंगे और उस आधार पर अदालत तथ्यात्मक दावे करती है, तो इस मामले में सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हमें अटॉर्नी जनरल को पीएसी में तलब करना चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्यों इस प्रकार के दावे अदालत के समक्ष किए गए और क्यों ऐसे हलफनामे पेश किए गए, जो सच्चाई नहीं दर्शाते हैं।